जयपुर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राजस्थान की राजधानी जयपुर में नए आपराधिक न्याय कानूनों पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए कहा कि न्याय अब दंड नहीं, सुधार और समयबद्धता पर केंद्रित होगा।
उन्होंने कहा कि देश की न्यायिक प्रणाली वर्षों से “न्याय में देरी” की पहचान से जूझ रही है, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लागू किए गए तीन नए कानून इस पहचान को बदलने का काम करेंगे। शाह के अनुसार, अब समय पर, सुलभ और सरल न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।
अमित शाह ने कहा,“हमारी न्यायिक व्यवस्था समय पर न्याय न देने के लिए बदनाम हो चुकी थी। पर अब यह बदलेगी — क्योंकि नया कानून दंड नहीं, न्याय की भावना से प्रेरित है।”
उन्होंने बताया कि 2027 के बाद दर्ज की जाने वाली किसी भी प्राथमिकी (FIR) पर तीन वर्ष के भीतर सर्वोच्च न्यायालय में मुकदमे की सुनवाई पूरी कर ली जाएगी। उन्होंने इसे भारत के न्यायिक इतिहास का “टर्निंग पॉइंट” बताया।
गृह मंत्री ने बताया कि 160 साल पुराने दंड संहिता ढांचे को समाप्त करते हुए तीन नए कानून लागू किए गए हैं, जिनमें न्याय प्रक्रिया को तकनीक और वैज्ञानिक तरीकों से जोड़ा गया है। इससे जांच और सुनवाई दोनों तेज होंगी।
शाह ने यह भी दावा किया कि राजस्थान में इन कानूनों के लागू होने के बाद दोषसिद्धि दर में 60% तक की वृद्धि दर्ज की गई है। पहले जहां यह दर 42% थी, अब बढ़कर 60% तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि पूरी व्यवस्था लागू होने के बाद यह दर 90% तक पहुंचने का लक्ष्य रखती है।
अमित शाह ने कहा कि केंद्र सरकार सभी राज्यों को इस बदलाव के लिए आवश्यक प्रशिक्षण, तकनीकी सहायता और मार्गदर्शन प्रदान कर रही है ताकि न्याय अब लोगों की पहुंच में आ सके।