गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। सोमवार को नगर निगम सभागार में आयोजित गोरखपुर नगर निगम बोर्ड की 15वीं बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। बैठक शुरू होने से पहले ही पार्षदों ने जमकर नारेबाजी की और पार्षद छोटे लाल के भतीजे पर दर्ज मुकदमा वापस लेने की मांग उठाई। इससे सभागार में तनावपूर्ण माहौल बन गया और बैठक की शुरुआत कुछ देर के लिए टालनी पड़ी।
सूत्रों के अनुसार, कुछ दिन पूर्व नगर निगम के सफाई कर्मचारियों से हुई मारपीट की घटना में पार्षद छोटे लाल के भतीजे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। सफाई कर्मचारियों ने उस दौरान कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। हालांकि मामला शांत हो गया, लेकिन मुकदमा वापस न होने से पार्षद नाराज थे।
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बैठक शुरू होने से पहले ही पार्षदों ने महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव और नगर आयुक्त गौरव सिंह सोगरवाल से मुलाकात की और मुकदमा वापस लेने की मांग की। विरोध के चलते बैठक कुछ समय के लिए बाधित रही।
पार्षदों का आरोप था कि प्रशासन नगर निगम कर्मचारियों के पक्ष में पक्षपात कर रहा है। कुछ पार्षदों ने कहा कि “पहले हंगामा फिर एकता” का चलन निगम में बढ़ता जा रहा है।
लगातार नारेबाजी के बीच महापौर ने पार्षदों से शांति की अपील की और कहा कि मुकदमे की जांच कानूनी प्रक्रिया के तहत होगी। बातचीत के बाद माहौल शांत हुआ और बैठक शुरू की गई, जिसमें विकास कार्यों, बजट और सफाई व्यवस्था पर चर्चा की गई।
बैठक के अंत में महापौर ने कहा कि जनप्रतिनिधियों का उद्देश्य जनता की सेवा है, इसलिए व्यक्तिगत विवादों को निगम के काम से ऊपर नहीं रखना चाहिए।
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