Tuesday, October 14, 2025
HomeUncategorizedस्वास्थ्य परंपरा

स्वास्थ्य परंपरा

दिल का रक्षक: ‘अर्जुन पुष्प’ के चमत्कारी योग

       भारत की औषधीय परंपरा में अर्जुन वृक्ष का नाम अत्यंत श्रद्धा से लिया जाता है। आयुर्वेद में इसे “हृदय-बल्य” अर्थात् हृदय को शक्ति देने वाली औषधि कहा गया है। Terminalia arjuna नामक यह वृक्ष भारत के लगभग सभी भागों में नदी-तालाबों के किनारे पाया जाता है। इसकी छाल, पत्तियाँ, फल और फूल सभी औषधीय महत्व रखते हैं।

अर्जुन की छाल जहाँ हृदय रोग, रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में उपयोगी है, वहीं इसके फूल भी कम प्रभावी नहीं हैं। अर्जुन पुष्प शीतल, सुगंधित और रक्तशुद्धिकारक गुणों से भरपूर होते हैं। प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में इसका उल्लेख हृदय रोग, रक्त दोष, मूत्र विकार और अनिद्रा जैसी बीमारियों में उपयोगी औषधि के रूप में किया गया है।

  1. अर्जुन पुष्प क्वाथ (काढ़ा)

उपयोग: हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, रक्तशुद्धि
सामग्री:

अर्जुन फूल (सूखे) – 10 ग्राम

जल – 200 मि.ली.
विधि: जल को धीमी आँच पर आधा रहने तक उबालें। छानकर सुबह और शाम सेवन करें।

  1. अर्जुन पुष्प–गुलाब योग

उपयोग: हृदय की धड़कन, तनाव, रक्त दोष
सामग्री:

अर्जुन फूल चूर्ण – 5 ग्राम

गुलाब की पंखुड़ी चूर्ण – 2 ग्राम

शहद – 1 चम्मच
सेवन विधि: सुबह खाली पेट और रात को सोने से पहले सेवन करें।

  1. अर्जुन पुष्प–द्राक्ष योग

उपयोग: उच्च रक्तचाप, थकावट, हृदय दुर्बलता
सामग्री:

अर्जुन फूल चूर्ण – 3 ग्राम

मुनक्का (द्राक्ष) – 5 नग

जल – 150 मि.ली.
विधि: मुनक्के को जल में उबालें, फिर अर्जुन फूल चूर्ण मिलाकर गुनगुना पिएँ।

  1. अर्जुन पुष्प चूर्ण योग

उपयोग: रक्तशुद्धि, त्वचा रोग, हृदय बल
सामग्री:

अर्जुन फूल चूर्ण – 100 ग्राम

मिश्री – 50 ग्राम
विधि: दोनों को मिलाकर रखें। 3–5 ग्राम मात्रा दिन में दो बार गुनगुने जल के साथ लें।

  1. अर्जुन पुष्प शीतल अर्क

उपयोग: मूत्रकृच्छ (मूत्र रुकना), मूत्रदाह
सामग्री:

अर्जुन फूल – 50 ग्राम

ठंडा जल – 400 मि.ली.
विधि: फूलों को रातभर जल में भिगो दें। सुबह छान लें।
सेवन: 50–60 मि.ली. मात्रा दिन में दो बार लें।

  1. अर्जुन पुष्प हृदय वटी (घरेलू योग)
    उपयोग: हृदय की कमजोरी, धड़कन बढ़ना, अनिद्रा
    सामग्री:
  • अर्जुन फूल चूर्ण – 20 ग्राम
  • अश्वगंधा चूर्ण – 20 ग्राम
  • शंखपुष्पी चूर्ण – 20 ग्राम
  • शहद – आवश्यकता अनुसार
    विधि: सभी सामग्री मिलाकर छोटे-छोटे वटी (गोली) बना लें।
    सेवन: 1-1 वटी सुबह और शाम गुनगुने जल से लें।

सावधानियाँ

  1. हृदय रोगी इन योगों का सेवन चिकित्सक की देखरेख में करें।
  2. अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से कब्ज़ या पेट में भारीपन हो सकता है।
  3. गर्भवती महिलाएँ प्रयोग से पहले वैद्य या चिकित्सक से परामर्श लें।
    अर्जुन पुष्प प्रकृति का एक अनुपम वरदान है। यह न केवल हृदय को सशक्त बनाता है, बल्कि शरीर और मन दोनों को संतुलित रखता है। नियमित और संयमित सेवन से यह दीर्घायु, मानसिक शांति और स्वस्थ हृदय का साधन बन सकता है।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments