Thursday, October 16, 2025
HomeNewsbeatवित्तविहीन शिक्षकों की दुर्दशा बनी सवाल, आखिर कब सुधरेगी दशा

वित्तविहीन शिक्षकों की दुर्दशा बनी सवाल, आखिर कब सुधरेगी दशा

शिक्षा का दीप जलाने वाले शिक्षक दो वक्त की रोटी को तरस रहे, सरकार की चुप्पी पर बढ़ रहा आक्रोश

चारों ओर शिक्षा का दीप,लेकिन शिक्षक खुद अंधेरे में– कब सुधरेगी स्थिति

महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। देश के भविष्य को संवारने वाले वित्तविहीन शिक्षक आज भी आर्थिक तंगी और बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। शिक्षा के क्षेत्र में उनका समर्पण अतुलनीय है, लेकिन सरकार की उपेक्षा और असमान नीति के कारण उनकी दशा अब तक नहीं सुधरी।
वित्तविहीन शिक्षक शिक्षा के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत हैं। वे सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का कार्य करते हैं। ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में ये शिक्षक समाज के निर्माण और बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। लेकिन उनके सामने रोजमर्रा के आवश्यकताओं की कठिनाइयां हैं। उन्हें न नियमित वेतन मिलता है, न पेंशन और न ही स्वास्थ्य व अन्य बुनियादी सुविधाएं। इस असमान परिस्थिति के कारण शिक्षक अपने परिवार का भरण- पोषण करने के लिए संघर्षरत हैं।
वित्तविहीन शिक्षक हरिश्चंद्र चौहान ने कहा कि हमने अपनी पूरी जिंदगी बच्चों के भविष्य को संवारने में लगा दी, लेकिन आज तक हमारी सेवा को स्थायी और सम्मान जनक रूप नहीं दिया गया। सरकार के ध्यान न देने से हम निराश हैं।
वित्तविहीन शिक्षक ओम प्रकाश वर्मा ने कहा कि हम शिक्षा का दीपक जलाते हैं, बच्चों के जीवन में उजाला भरते हैं, लेकिन खुद जीवन यापन के लिए रोज संघर्ष करना पड़ता है। हमारी समस्याओं पर सरकार को गंभीरता से कदम उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार शासन से स्थायी वेतन, सुविधाए और सम्मान की मांग की गई लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। यदि सरकार वित्तविहीन शिक्षकों की समस्याओं का समाधान करे, तो न केवल वित्तविहीन शिक्षकों का जीवन सुधरेगा बल्कि बच्चों के शिक्षा की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।वहींआउटसोर्सिंग कर्मचारियों के प्रति सरकार विशेष मेहरबान दिखाई दे रही है, जिससे वित्तविहीन शिक्षकों में असंतोष और निराशा बढ़ रही है।

इसे भी पढ़ें – https://rkpnewsup.com/major-reshuffle-of-police-officers/
वित्तविहीन शिक्षक सुरेश कुमार ने कहा कि हम केवल पढ़ाने वाले नहीं हैं हम समाज के नैतिक और बौद्धिक विकास में भी योगदान देते हैं। बगैर हमारे समर्पण और मेहनत के दूरदराज के बच्चों तक शिक्षा की रोशनी नहीं पहुंच सकती। हम
बच्चों के जीवन में उजाला भरते हैं,लेकिन खुद अंधेरे में जीवन यापन करने को मजबूर हैं। अब सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि हम वित्तविहीन शिक्षकों की दुर्दशा समाप्त करें, स्थायी सेवा, उचित वेतन और सम्मान प्रदान करें, ताकि शिक्षा का दीपक निरंतर जलता रहे और देश का भविष्य सुरक्षित रहे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments