बलरामपुर,(राष्ट्र की परम्परा)
नेपाल में पिछले कुछ दिनों से हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शनों ने पूरे दक्षिण एशिया को चिंतित कर दिया है। राजधानी काठमांडू सहित कई प्रांतों में उग्र भीड़ ने सरकारी भवनों, सुप्रीम कोर्ट परिसर, संसद भवन, दुकानों, मॉल और निजी संस्थानों पर हमला किया। कई जगहों पर आगजनी, लूटपाट और हत्या की घटनाएँ दर्ज की गईं।
सबसे गंभीर घटना तब हुई जब प्रदर्शनकारियों ने नेपाल की कई जेलों पर धावा बोल दिया। स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, हजारों कैदी जिसमें हत्या, लूट और अन्य संगीन अपराधों में दोषी भागने में सफल रहे। नेपाल सरकार ने आपात सुरक्षा बलों को तैनात कर हालात काबू में करने की कोशिश की, लेकिन कई फरार अपराधियों के देशभर में फैलने की आशंका बनी हुई है।
भारत-नेपाल खुली सीमा के कारण इन अपराधियों के भारत में घुसपैठ की संभावना को देखते हुए भारतीय सुरक्षा एजेंसियाँ अलर्ट हो गई हैं। सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने बलरामपुर सहित उत्तर प्रदेश के तराई क्षेत्रों में गश्त बढ़ा दी है। कई संदिग्ध व्यक्तियों को सीमा पार करने के प्रयास में हिरासत में लिया गया है।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत-नेपाल सीमा पर अतिरिक्त बल तैनात करने और अस्थायी रूप से आवागमन सीमित करने के निर्देश दिए हैं। बलरामपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर और बहराइच जिलों में एसएसबी और पुलिस बलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है।
भारत और नेपाल के ऐतिहासिक “रोटी-बेटी” संबंधों को देखते हुए यह कदम कठिन लेकिन ज़रूरी माना जा रहा है। सीमा पार कई परिवारों के वैवाहिक रिश्ते हैं, जिससे लोगों की चिंता और बढ़ गई है। स्थानीय प्रशासन ने सीमा पार रहने वाले परिजनों से संयम बरतने और आधिकारिक घोषणाओं पर भरोसा करने की अपील की है।
सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि फरार अपराधियों को जल्द काबू में नहीं किया गया तो नेपाल और सीमावर्ती भारतीय जिलों में अपराध दर बढ़ने का खतरा है।