गोरखपुर ( राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुरविश्वविद्यालय संस्कृत एवं प्राकृत भाषा विभाग में आयोजित दीक्षारम्भ कार्यक्रम के अवसर पर विभागाध्यक्ष एवं अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. राजवंत राव ने अपने उद्बोधन में कहा कि अनुशासन, धैर्य और स्व-मूल्यांकन सफलता का मूल मन्त्र है।
उन्होंने कहा कि दीक्षारम्भ कार्यक्रम भारतीय परंपरा का अभिन्न हिस्सा है तथा भारत सरकार का यह उपक्रम सराहनीय और अनुकरणीय है। प्रो. राव ने विद्यार्थियों से कहा कि संतुष्टि सबसे बड़ा गुण है। विश्वविद्यालय में ज्ञान प्राप्त करना, ज्ञान से स्वयं को अर्थवान बनाना, समाज के अनुकूल प्रस्तुत करना तथा शिक्षकों के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना आवश्यक है।
कार्यक्रम में विभागीय समन्वयक डॉ. देवेन्द्र पाल ने स्वागत एवं प्रास्ताविकी प्रस्तुत की। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. सूर्यकांत त्रिपाठी ने किया, जबकि संचालन एवं संयोजन डॉ. ज्ञानधर भारती द्वारा किया गया। इस अवसर पर विभाग के समस्त शिक्षक एवं नवागत छात्र-छात्राएं उपस्थित रहीं।