
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के 44वें दीक्षांत समारोह की श्रृंखला के अंतर्गत सोमवार को “दीक्षोत्सव 2025” कार्यक्रम का आगाज हुआ। विश्वविद्यालय के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ तरंग की ओर से आयोजित इस प्रथम सांस्कृतिक आयोजन में छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत तरंग की निदेशिका प्रो. उषा सिंह ने अतिथियों और निर्णायक मंडल का स्वागत करते हुए की। इसके बाद कविता एवं निबंध लेखन प्रतियोगिता हुई, जिसका विषय था। “पर्यावरण चेतना : उपाय एवं चुनौतियाँ”। संयोजक डॉ. आमोद राय एवं डॉ. कुलदीपक शुक्ला के निर्देशन में आयोजित इस प्रतियोगिता में लगभग 96 प्रतिभागियों ने अपने विचारों को लेखन के माध्यम से अभिव्यक्त किया।
इसके पश्चात देशभक्ति एवं लोकगीत प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। डॉ. अनुपमा कौशिक एवं डॉ. तूलिका मिश्रा के संयोजन में आयोजित इस प्रतियोगिता में 36 प्रतिभागियों ने भावपूर्ण गीत प्रस्तुत कर देशभक्ति और लोकसंस्कृति की झलक दिखाई।
लोकनृत्य प्रतियोगिता भी कार्यक्रम का आकर्षण बनी। इसमें 12 प्रतिभागियों ने पूर्वांचल की सांस्कृतिक धरोहर और राष्ट्रीय भावना का प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता का संचालन डॉ. प्रदीप राजौरिया, डॉ. प्रदीप साहनी एवं डॉ. प्रियंका गौतम ने किया, जबकि निर्णायक मंडल में डॉ. प्रतिमा जायसवाल, डॉ. कुसुम रावत सहित कई शिक्षक व छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।
प्रो. उषा सिंह ने बताया कि शेष प्रतियोगिताएँ 19 अगस्त को होंगी। इनमें भाषण प्रतियोगिता (विषय : स्वतंत्रता आंदोलन में साहित्य की भूमिका, समय : दोपहर 12 बजे) और चित्रकला प्रतियोगिता (समय : दोपहर 1 बजे, संयोजक : डॉ. प्रदीप राजौरिया एवं डॉ. प्रियंका गौतम) सम्मिलित हैं।
विजयी प्रतिभागियों को 44वें दीक्षांत समारोह के अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जाएगा।
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