
बलिया(राष्ट्र की परम्परा)
दुश्मन को ललकार के पैगाम देंगे।
आजाद है आजाद है आजाद रहेंगे।।
गुलामी की जंजीर में ना बांध सकेंगे।
मर मिटे जो देश पर उन्हें याद करेंगे।।
हर दिल में देश प्रेम का भाव जगाएंगे
रक्षक बनकर देश का गौरव बढ़ाएंगे।।
दुश्मन को ललकार के पैगाम देंगे
आजाद है आजाद है आजाद रहेंगे।।
नमन करें हम उनको मर मिटे जो देश पर।
देश बचाने चल पड़े जो घर छोड़कर।।
लिए तिरंगा हाथ सिर पर कफन बांधकर।
वतन की रक्षा -खातिर लड़े वह हर एक मोड़ पर।
दुश्मन को ललकार के पैगाम देंगे।
आजाद है आजाद है आजाद रहेंगे।।
गांव शहर और गली-गली में लहराए तिरंगा।
देशभक्ति का भाव जगाये हर घर में तिरंगा।।
शान न इसकी जाने देंगे प्राणों से प्यारा तिरंगा।
राष्ट्रवाद का गूंजे नारा सबको प्यारा तिरंगा।।
दुश्मन को ललकार के पैगाम देंगे।
आजाद है आजाद है आजाद रहेंगे।।
सीमा त्रिपाठी
शिक्षिका साहित्यकार लेखिका
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