
बहराइच (राष्ट्र की परम्परा)l नानपारा में स्थित हजरत बड़े पीर दस्तगीर की कदीमी दरगाह गौसिया ग्यारवीं कोठी में सालाना 11वीं का त्यौहार अकीदत ओ मोहब्बत के साथ मनाया गया।बाद नमाज फज्र से गौसिया हॉल में 11वीं शरीफ का कार्यक्रम शुरू हो गया।कारी अली रजा ने तिलावत की मदरसे के बच्चों द्वारा कुरआन ख्वानी और कुल पढ़ा गया। बरेली के मौलाना आरिफ रजा कुरैशी ने (बड़े पीर) की सवाने उमरी पर बयान किया मौलाना मोईनुद्दीन कहा हम सब सरकार गौस-ए-आज़म र0अ0अ0 के मानने वाले है हमें उनकी जिन्दगी की हर गौशो पर नज़र रखनी चाहिए और उनके तरीकेकार पर अमल करके अपनी जिन्दगी को पुरबहान बनाना चाहिए।
इस मौके पर मौलाना अजीज रजा, शादाब रजा अत्तारी, रेहान रजा, रोज अली, रेहान रजा, अब्दुल लतीफ अंजुम नानपरवी, सहीक नानपारवी यासीन, सैयद अब्दुल वली आदि लोगों ने नजराना पेश किया। मालूम हो कि दोपहर से ही गौसिया हॉल में लंगरखाने का सिलसिला शुरू हो गया जिसमें सैकड़ो अकीदतमंदो ने खाना खाया। कार्यक्रम के संयोजक अरशद खान, हाजी अब्दुल रशीद, नदीम चौधरी, पप्पू, हाजी शब्बीर आदि ने कार्यक्रम में सहयोग किया। कार्यक्रम का संचालन इंकलाब अशरफी ने किया
मुस्लिम विकास समिति के सैयद अब्दुल वली ने बताया कि रियासती गौसिया हॉल में गौस-ए-पाक की तबर्रुकात ए जिसमें गौस-ए-पाक दीगर तबर्रुकात मौजूद है क्योंकि बड़े पीर की दरगाह इराक में है करीब डेढ़ सौ साल पहले नानपारा के राजा जंग बहादुर ने इराक से तबर्रुकात लाकर यहां मजार शरीफ बनवाई थी तभी से 11वीं शरीफ के दिन हजारों महिला पुरूष चरागा, फातिहाख्वानी व चादरपोशी करने के लिए गौसिया हॉल पहुंचते है और मजार पर गागर व चादर चढ़ाकर दुआये मांगते है। एक समय था रियासत के राजा नानपारा सआदत अली खान गौसिया हॉल में 11वीं का त्यौहार धूमधाम से मनवाते थे जिसमें तीन दिन तक नगर के घरो में लंगर जारी रहता था/
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