
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) 2025 के विधानसभा चुनावों को देखते हुए कांग्रेस पार्टी अब एक व्यवस्थित, व्यावहारिक और डेटा-आधारित रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी अब भावनाओं के बजाय गणनाओं और जमीनी हकीकतों के आधार पर चुनावी रणनीति गढ़ने में जुटी है। इसी क्रम में कांग्रेस ने एक नया प्रयोग किया है, जिसके तहत विधानसभा सीटों को तीन श्रेणियों – ए, बी और सी कोटि में वर्गीकृत किया गया है।
🟢 ए श्रेणी की सीटें: पार्टी की परंपरागत ताकत
इस श्रेणी में वे सीटें शामिल की गई हैं जहां कांग्रेस की ऐतिहासिक रूप से मजबूत उपस्थिति रही है, संगठनिक ढांचा भी मजबूत है, और स्थानीय नेताओं की पकड़ आज भी प्रभावी है। इन सीटों पर पार्टी को जीत की सबसे ज्यादा संभावना है। चुनावी संसाधनों और स्टार प्रचारकों का विशेष फोकस इन्हीं सीटों पर रहेगा।
🟡 बी श्रेणी की सीटें: थोड़ा प्रयास, बड़ा फायदा
बी कोटि की सीटों को “संभावनाशील सीटें” माना गया है। इन पर पार्टी की स्थिति बहुत खराब नहीं है और थोड़े प्रयास, सही उम्मीदवार और आक्रामक प्रचार के जरिए जीत को साधा जा सकता है। संगठन इन क्षेत्रों में जमीनी कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने, बूथ स्तर की कमियों को दूर करने और स्थानीय मुद्दों को प्रमुखता देने की रणनीति पर काम कर रहा है।
🔴 सी श्रेणी की सीटें: सबसे कठिन मोर्चा
इस श्रेणी में वे सीटें आती हैं जहां कांग्रेस या महागठबंधन के अन्य घटक दलों का प्रदर्शन बेहद कमजोर रहा है। इन क्षेत्रों को “पुनर्निर्माण” के क्षेत्र के तौर पर देखा जा रहा है। यहां संगठन निर्माण, नए चेहरों को मौका देना, मुद्दों की पहचान और जनसंपर्क को प्राथमिकता दी जा रही है। यह सीटें फिलहाल चुनौतीपूर्ण हैं, लेकिन पूरी तरह से छोड़ी नहीं जाएंगी।
रणनीति के पीछे उद्देश्य
पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह श्रेणीकरण न केवल संगठन को लक्षित और दक्षता-युक्त कार्य में मदद करेगा, बल्कि महागठबंधन के भीतर सीटों के संतुलित और तार्किक वितरण में भी उपयोगी भूमिका निभाएगा। इससे सभी घटक दलों को उनकी ताकत और संभावनाओं के हिसाब से सीटें दी जा सकेंगी।
गठबंधन सहयोगियों के साथ साझा होगा फीडबैक
कांग्रेस की यह रणनीति ‘माइक्रो-मैनेजमेंट’ के सिद्धांत पर आधारित है। हर सीट का डेटा, पिछली बार के मतदान प्रतिशत, जातीय समीकरण, स्थानीय मुद्दे, और मौजूदा विधायक की लोकप्रियता जैसे पहलुओं पर विश्लेषण किया जा रहा है। इस विश्लेषण को गठबंधन के अन्य सहयोगियों के साथ साझा कर सीट बंटवारे की बुनियाद तैयार की जाएगी।
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