
मुंबई, (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)
देश को हिला देने वाले 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में एक बड़ा कानूनी मोड़ आया है। मुंबई की एक विशेष अदालत ने इस मामले में दोषी ठहराए गए सभी 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपों को साबित करने के लिए न तो पर्याप्त और न ही ठोस सबूत पेश कर सका, जिस कारण न्यायालय को सभी आरोपियों को रिहा करने का निर्णय लेना पड़ा।
क्या था मामला:
11 जुलाई 2006 को मुंबई की लोकल ट्रेनों में शाम के व्यस्त समय में 7 श्रृंखलाबद्ध विस्फोट हुए थे। ये धमाके पश्चिम रेलवे की ट्रेनों में हुए थे, जो चर्चगेट से विरार रूट पर चल रही थीं। इन विस्फोटों में 189 लोगों की मौत हो गई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। यह हमला देश की आंतरिक सुरक्षा पर सबसे बड़े हमलों में से एक माना गया था।
पुलिस और जांच एजेंसियों की कार्रवाई:
विस्फोटों के बाद महाराष्ट्र एटीएस और अन्य जांच एजेंसियों ने 12 लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया था। इन पर आतंकवादी गतिविधियों, आपराधिक साजिश और हत्या जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे। अभियोजन पक्ष ने इन आरोपियों के खिलाफ सैकड़ों गवाह पेश किए, लेकिन अदालत ने पाया कि ये गवाही या सबूत अपराध को जोड़ने के लिए पर्याप्त नहीं थे।
अदालत की टिप्पणी: विशेष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि,“केवल संदेह के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। अभियोजन पक्ष अपने दावे को पर्याप्त प्रमाणों से सिद्ध नहीं कर पाया है। इसलिए न्याय के हित में सभी आरोपियों को बरी किया जाता है।”
परिजनों और जनमानस की प्रतिक्रिया:
इस फैसले के बाद जहां आरोपियों के परिवारों में राहत की भावना देखी गई, वहीं विस्फोट में मारे गए लोगों के परिजनों ने निराशा और आक्रोश व्यक्त किया है। उनका कहना है कि इतने सालों बाद भी उन्हें न्याय नहीं मिल सका।
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