
हैंडपंप सूखे, नलों ने छोड़ा साथ, प्रशासन बना मूकदर्शक
बलिया (राष्ट्र की परम्परा)।
बलिया जनपद इन दिनों गंभीर जल संकट की चपेट में है। जिले के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में पानी की किल्लत ने आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। सिकंदरपुर तहसील इस संकट से सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र बनकर उभरी है, जहां हैंडपंपों ने जवाब दे दिया है और नलों की धार सूख चुकी है।

टैंकरों से हो रही सीमित आपूर्ति
नगर पंचायत सिकंदरपुर की चेयरमैन सावित्री देवी के प्रयासों से टैंकरों द्वारा पानी पहुंचाया जा रहा है, लेकिन यह व्यवस्था बेहद नाकाफी साबित हो रही है। नगर की संकरी गलियों में टैंकर नहीं पहुंच पा रहे हैं, जिससे महिलाएं, बुजुर्ग और बच्चे घंटों पानी के इंतजार में बाल्टी लिए खड़े नजर आते हैं।
गांवों में हालात और भयावह
सिकंदरपुर क्षेत्र के चक्खान, जमुई, लखनापार, मालदह, नवानगर, बघुडी, पकड़ी, खेजुरी, सहुलाई जैसे दर्जनों गांवों में जल संकट और भी गंभीर है। यहां नल कनेक्शन पूरी तरह बंद हो चुके हैं और अधिकांश हैंडपंप सूख चुके हैं। ग्रामीण लोग पुराने कुओं और तालाबों से किसी तरह पानी खींचने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वहां भी जल स्तर लगातार गिर रहा है।
मवेशी और फसलें भी संकट में
पेयजल संकट के साथ-साथ मवेशियों के लिए भी पानी की भारी किल्लत है। खेत सूखते जा रहे हैं और धान की बुआई पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं, जिससे आगामी महीनों में खाद्यान्न संकट की आशंका प्रबल हो गई है।
प्रशासनिक उदासीनता पर सवाल
स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है, फिर भी प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। न टैंकरों की संख्या बढ़ाई गई है, न ही कोई वैकल्पिक जल स्रोत उपलब्ध कराए गए हैं।
“जहां पहले बच्चों की खिलखिलाहट गूंजती थी, आज वहां खाली बाल्टियों की टनटनाहट सुनाई देती है।”
जनप्रतिनिधियों की चेतावनी
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने जिला प्रशासन को चेताया है कि यदि जल्द से जल्द राहत कार्य शुरू नहीं किए गए, तो यह जल संकट मानव त्रासदी का रूप ले सकता है।
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