July 6, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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विद्यालय मर्जर नीति के विरोध में शिक्षक संघ की बैठक सम्पन्न, सरकार के निर्णय को बताया शिक्षा विरोधी

संघर्ष का ऐलान, 1 जुलाई को पंचायत स्तर पर विरोध दर्ज कराने की रणनीति

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 50 से कम छात्र संख्या वाले प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर (विलय) के निर्णय के विरोध में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ, बैतालपुर की एक अहम बैठक बीआरसी परिसर में आयोजित की गई। बैठक की अध्यक्षता ब्लॉक अध्यक्ष श्री संजय मिश्रा ने की, जिसमें बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल हुए। बैठक में शिक्षकों ने इस नीति को शिक्षा व्यवस्था पर कुठाराघात बताते हुए इसे ग्रामीण शिक्षा के लिए घातक करार दिया। वक्ताओं ने कहा कि मर्जर नीति से गांवों के बच्चों की पढ़ाई बाधित होगी और वे विद्यालय से वंचित हो सकते हैं। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि 1 जुलाई को सभी विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन समिति (एसएमसी) व ग्राम प्रधानों के साथ बैठक कर सामूहिक रूप से विरोध दर्ज कराया जाएगा। ब्लॉक मंत्री व जनपदीय कोषाध्यक्ष जयप्रकाश मणि त्रिपाठी ने कहा कि यह नीति शिक्षा का अधिकार अधिनियम-2009 की मूल भावना के विपरीत है और इससे निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के अधिकार को ठेस पहुंचेगी। ब्लॉक अध्यक्ष संजय मिश्रा ने दो टूक कहा, “विद्यालयों का बंद होना केवल इमारतों का खाली होना नहीं, बल्कि बच्चों के सपनों के दरवाजे बंद होने जैसा है।” उन्होंने कहा कि यह कदम नवप्रशिक्षित शिक्षकों के रोजगार को भी संकट में डाल देगा। वरिष्ठ उपाध्यक्ष राकेश कुमार चतुर्वेदी ने 2019 में समाप्त किए गए 20,000 पदों का हवाला देते हुए सरकार पर शिक्षकों की उपेक्षा का आरोप लगाया। संघर्ष समिति अध्यक्ष सूर्यकांत पांडे ने सरकार को बेसिक शिक्षा विभाग के प्रति निष्क्रिय बताया, वहीं संघर्ष समिति के मंत्री श्री आलोक सिंह ने बताया कि वर्ष 2016 के बाद से पदोन्नति की प्रक्रिया रुकी हुई है और प्रदेश के 95% से अधिक कंपोजिट व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक नहीं हैं। युवा शिक्षक विशाल यादव ने सरकार से मर्जर नीति को तुरंत वापस लेने की भावुक अपील की। बैठक का संचालन जयप्रकाश मणि त्रिपाठी ने किया। बैठक में सैकड़ों शिक्षकों की मौजूदगी यह दर्शा रही थी कि यह केवल संघ का विरोध नहीं, बल्कि जनभावना की मुखर अभिव्यक्ति है। अंत में सभी शिक्षकों ने चरणबद्ध आंदोलन चलाने का संकल्प लिया और कहा कि यह संघर्ष केवल शिक्षकों के अधिकारों के लिए नहीं, बल्कि ग्रामीण भारत के हर उस बच्चे के भविष्य के लिए है जो शिक्षा को अपना अधिकार मानता है। उपस्थित प्रमुख शिक्षकगण: मिथिलेश कुमार सिंह, राकेश कुमार चतुर्वेदी, अमित चौरसिया, सुनील कुमार सिंह, नीरज कुमार श्रीवास्तव, हरेंद्र पाल, मानिकेश्वर सिंह, मृत्युंजय तिवारी, दिलीप कुमार गौड़, लाल साहब गौड़, जयप्रकाश आजाद, नंदकिशोर मिश्रा, गोपाल राय, संतोष कुमार सिंह, नितेश कुमार श्रीवास्तव, विवेकानंद, मुन्ना कुमार मधुकर, आलोक कुमार सिंह, विनोद कुमार गौड़, विमल कुमार मिश्रा, डॉ. शैलेश कुमार सिंह, अमित कुमार श्रीवास्तव, विजय कुमार, विशाल यादव, मिथिलेश कुमारी, सलमान खातून, अभिषेक गुप्ता समेत सैकड़ों शिक्षक उपस्थित रहे।