उतरौला/ बलरामपुर/ (राष्ट्र की परम्परा)।उतरौला बाजार में 26 मार्च 2005 को हुए सांप्रदायिक दंगे के मामले में 31 अक्तूबर को न्यायालय ने सजा सुनाई। आगजनी, दंगा, लूटपाट समेत अन्य धाराओं मे दर्ज मामले में कुल 41 लोगों को पांच-पांच साल का कारावास व पांच-पांच हजार रुपयों का अर्थदंड लगाया गया है। इससे पूर्व 20 अक्टूबर को जज जहेंद्र पाल ने आरोप पत्र में नामजद 64 में बचे 59 लोगों में से 18 लोगों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य न होने के कारण उन्हें दोषमुक्त कर दिया था। ट्रायल के दौरान पांच लोगों की मौत होने के कारण उनका नाम पत्रावली से हटा दिया गया था। अभियोजन सेल प्रभारी इंस्पेक्टर केके यादव व सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी नवीन कुमार तिवारी ने बताया कि अभियोजन पक्ष की तरफ से 15 गवाहों का साक्ष्य न्यायालय पर प्रस्तुत किया गया था। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने व पत्रावली का अवलोकन करने के बाद एफटीसी प्रथम जहेंद्र पाल सिंह ने 41 लोगों पर आगजनी, मारपीट व दंगा फैलाने का आरोप सही माना था। न्यायालय ने
पूर्व नपाध्यक्ष अमर नाथ गुप्त, अनूप गुप्त, रामजी गुप्त, शारदा प्रसाद, नंदलाल, रक्षाराम, सहदेव, सुरेश, राजेंद्र, सुनील कुमार, कपिल कुमार, दुर्गेश, कौशल कुमार, विश्वनाथ गुप्त, ओम प्रकाश, दिलीप, बच्चू मिस्त्री, अब्दुल तव्वाब, मुस्तफा, ध्रुव कुमार, नाजिम, सतीश गुप्त, नसीरुद्दीन, शब्बीर अहमद, आमिर कबड़िया, एजाज अहमद, मो. हारून, अब्दुल मजीद, जमाल अहमद, कैफ, सईद, मुहम्मद इबरार, कमालुद्दीन, जहांगीर व ताहिद अली, अतुल कुमार, अरुण कुमार, असलम, राजेश उर्फ छोटू व सुमेरचंद्र गुप्त के विरुद्ध सजा सुनाई है।
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