76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम का 28 से 30 अक्टूबर तक होगा आयोजन

हरियाणा ( राष्ट्र की परम्परा )
यह जानकारी देते हुए संत निरंकारी मिशन के केंद्रीय मीडिया प्रभारी अभिषेक मणि ने बताया कि हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी हरियाणा प्रांत की समलखा नगर पालिका में, एक बार पुनः दृश्यमान होगी शामियानों की सुंदर नगरी, संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल समालखा के विशाल मैदान में, जिसमे 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम भव्य रूप में दिखेगा। समागम में सार्वभौमिक भाईचारे एंव विश्वबन्धुत्व का अनुपम स्वरूप देखा जाएगा।यह आध्यात्मिक संत समागम सत्गुरु माता सुदीक्षा एवं निरंकारी राजपिता के पावन सान्निध्य में भव्यता पूर्ण आयोजित होने जा रहा है। इस पावन संत समागम में देश विदेश से लाखों की संख्या में श्रद्धालु एंव भक्तगण सम्मिलित होकर, इस भव्य संत समागम का भरपूर आनंद प्राप्त करते हुए सत्गुरु के साकार दर्शन एवं पावन आशीष भी प्राप्त करेंगे ।इस वर्ष निरंकारी संत समागम का विषय है “सुकुन: अंर्तमन का जिस पर देश विदेशों से सम्मिलित हुए गीतकार, वक्तागण अपने शुभ भावों को कविताओं, गीतों एवं विचारों के माध्यम से व्यक्त
करेंगे और विभिन्न भाषाओं में दी गई इन प्रस्तुतियों का आनंद सभी श्रोतागण प्राप्त करेंगे।जैसा कि विदित ही है कि निरंकारी संत समागम के पावन अवसर की प्रतीक्षा में हर श्रद्धालु भक्त की केवल यही हार्दिक इच्छा रहती है, कि कब संत समागम का आयोजन हो और कब वह इस सुअवसर का साक्षी बनें। यह संत समागम निरंकारी मिशन द्वारा दिये जा रहे सत्य, प्रेम और शान्ति के दिव्य संदेश को जन-जन तक पहुँचाने हेतु एक ऐसा सशक्त माध्यम हैं जो आध्यात्मिक जागरूकता के माध्यम से समूचे संसार में समानता, सौहार्द्र एवं प्रेम का सुंदर स्वरूप प्रदर्शित कर रहा है। वर्तमान समय में जिसकी नितांत आवश्यकता भी है।संत निरंकारी मिशन का पहला समागम सन् 1948 में मिशन के दूसरे गुरू शहनशाह बाबा अवतार सिंह के नेतृत्व में दिल्ली के पहाड़गंज में हुआ था, उसके उपरांत शहनशाह ने अपने प्रेम से संत समागम की श्रृंखला को गति प्रदान की, तदोपरांत बाबा गुरबचन सिंह ने सहनशीलता और नम्रता जैसे, दिव्य गुणों द्वारा इसका और अधिक रूप में विस्तारण किया। अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर इन दिव्य मानवीय मूल्यों को ख्याति प्रदान करवाने में बाबा हरदेव सिंह ने अपना अहम् योगदान दिया जिसके परिणामस्वरूप आज समूचे विश्व में मिशन की लगभग 3,485 शाखाएं है।आध्यात्मिकता की इस पावन ज्योति को जन जन तक पहुंचाने हेतु सत्गुरु माता सविन्दर हरदेव ने भी अथक प्रयास किये और अपने कर्त्तव्यो को बखूबी रूप में निभाया। वर्तमान में सत्गुरु माता सुदीक्षा ने कहा कि ब्रह्मज्ञान की इस दिव्य रोशनी को विश्व के प्रत्येक कोने में एक नई ऊर्जा के साथ संचारित कर रहे हैं। यह दिव्य संत समागम शांति, समरसता, विश्वबन्धुत्व और मानवीय गुणों का एक ऐसा सुंदर प्रतीक है । जिसका एकमात्र लक्ष्य एकत्व में सदभाव तथा शांति की भावना को प्रदर्शित करना है।

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