लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। उत्तर प्रदेश में स्टेट जीएसटी (State GST) विभाग के करीब 50 अधिकारी बड़े घोटाले में फंसते नजर आ रहे हैं। विभागीय जांच में खुलासा हुआ है कि इन अफसरों ने 200 करोड़ रुपये से ज्यादा की नामी-बेनामी जमीनें खरीदीं, जिसमें ज्यादातर सौदे मोहनलालगंज क्षेत्र के एक चर्चित बिल्डर के जरिये किए गए।
200 करोड़ की जमीन खरीद में अफसरों के नाम
अब तक की जांच में 11 अफसरों की जमीन खरीद के दस्तावेज सामने आ चुके हैं। बताया जा रहा है कि ये सभी अधिकारी विभाग में सहायक आयुक्त, उपायुक्त, संयुक्त आयुक्त और अपर आयुक्त स्तर पर तैनात रहे हैं।
अधिकतर अफसर गाजियाबाद, आगरा, लखनऊ, कानपुर, वाराणसी, मुरादाबाद, मेरठ और गौतमबुद्धनगर जैसे बड़े जिलों में मलाईदार पदों पर तैनात थे।
वर्तमान में इन अफसरों की तैनाती सहारनपुर, लखनऊ, आजमगढ़, लखीमपुर खीरी, मिर्जापुर और कानपुर समेत 10 जिलों में बताई जा रही है।
जांच में खुलासा – बिल्डर और अफसरों की मिलीभगत
प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि जमीन की रजिस्ट्री मोहनलालगंज तहसील और सुल्तानपुर रोड पर हुई। जमीन खरीदने का पैसा एक प्रभावशाली बिल्डर के प्रोजेक्ट्स में लगाया गया। बताया जाता है कि यह बिल्डर जीएसटी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी का करीबी रिश्तेदार है, जिसने नंबर-दो की रकम खपाने का रास्ता उपलब्ध कराया।
कोरोना काल बना ‘कुबेर काल’
विभागीय सूत्रों का कहना है कि कोरोना काल (2020-2022) जीएसटी अफसरों के लिए “कुबेर काल” साबित हुआ।
इस दौरान अधिकतर अफसरों का 3-5 साल तक ट्रांसफर नहीं हुआ।
लंबे समय तक मलाईदार पदों पर टिके रहने से अफसरों के पास अरबों रुपये की अवैध कमाई हुई।
इतनी बड़ी रकम को छुपाने और खपाने के लिए जमीन खरीद का रास्ता चुना गया।
शासन तक पहुंचा मामला
शुरुआती शिकायतों के बाद जब पंजीकरण कार्यालय से जमीन की रजिस्ट्री के दस्तावेज निकाले गए तो हकीकत सामने आई। फिलहाल शासन ने जांच के आदेश दिए हैं और संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में कई और बड़े नाम उजागर होंगे।