गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में आज राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की रचना के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में भव्य सामूहिक गायन कार्यक्रम आयोजित किया गया। यह आयोजन गोरखपुर पुस्तक महोत्सव के पंडाल में उत्साह, उमंग और देशभक्ति के वातावरण के बीच संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का संचालन ललित कला एवं संगीत विभाग के विद्यार्थियों ने किया। जैसे ही उनके सुरों में वंदे मातरम् का सामूहिक स्वर गूंजा, पूरा परिसर राष्ट्रभक्ति की भावना से अनुप्राणित हो उठा। इस अवसर पर प्रति कुलपति प्रो. शांतनु रस्तोगी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो. अनुभूति दुबे, प्रो. उषा सिंह, प्रो. दिव्य रानी सिंह सहित विश्वविद्यालय परिवार, विभिन्न विद्यालयों के छात्र-छात्राएं, शिक्षक, अधिकारी एवं कर्मचारी बड़ी संख्या में मौजूद रहे। पूरा वातावरण “वंदे मातरम्” के जयघोष से गूंजता रहा।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं, यह हमारी राष्ट्रीय अस्मिता, एकता और आत्मगौरव का प्रतीक है। इस गीत ने स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान पूरे देश को एक सूत्र में जोड़ा और राष्ट्रप्रेम की भावना को नई ऊंचाई प्रदान की।
संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के अनुसार वर्ष 2025 में राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। माना जाता है कि बंकिम चन्द्र चटर्जी ने इस गीत की रचना अक्षय नवमी, 07 नवम्बर 1875 को की थी। इसकी पहली प्रस्तुति साहित्यिक पत्रिका बंग दर्शन में उनके उपन्यास आनन्दमठ के अंतर्गत हुई, और 1882 में यह स्वतंत्र पुस्तक के रूप में प्रकाशित हुआ।

इसके ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को देखते हुए संस्कृति मंत्रालय ने पूरे देश में 07 नवम्बर 2025 से 07 नवम्बर 2026 तक “वंदे मातरम् के 150 वर्ष” समारोह चार चरणों में मनाने की घोषणा की है। इसका प्रथम चरण 07 से 14 नवम्बर 2025 तक आयोजित किया जा रहा है।
