इस्लामाबाद (राष्ट्र की परम्परा)। पाकिस्तान की कमजोर अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए वर्ल्ड बैंक ने 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 5,800 करोड़ रुपये) की वित्तीय सहायता को मंजूरी दी है। यह मदद शनिवार 20 दिसंबर 2025 को स्वीकृत की गई, जिसका उद्देश्य पाकिस्तान में व्यापक आर्थिक स्थिरता, सार्वजनिक सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों के बेहतर प्रबंधन को बढ़ावा देना है।
किस योजना के तहत मिली मदद?
पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, यह वित्तीय सहायता पब्लिक रिसोर्सेज फॉर इन्क्लूसिव डेवलपमेंट – मल्टीफेज प्रोग्रामैटिक अप्रोच (PRID-MPA) के तहत दी जा रही है। इस ढांचे के अंतर्गत पाकिस्तान को भविष्य में कुल 1.35 अरब डॉलर तक की फंडिंग मिल सकती है।
700 मिलियन डॉलर का कहां होगा इस्तेमाल?
रिपोर्ट के अनुसार—
• 600 मिलियन डॉलर की राशि फेडरल सरकार की योजनाओं के लिए
• 100 मिलियन डॉलर सिंध प्रांत की एक विशेष पहल के लिए आवंटित की जाएगी
यह मंजूरी अगस्त 2025 में पंजाब में प्राथमिक शिक्षा सुधार के लिए दिए गए 47.9 मिलियन डॉलर के अनुदान के बाद आई है।
विश्व बैंक ने क्या कहा?
विश्व बैंक की पाकिस्तान कंट्री डायरेक्टर बोलोरमा अमगाबाजार ने कहा कि पाकिस्तान के समावेशी और सतत विकास के लिए घरेलू संसाधनों को बढ़ाना और उनका पारदर्शी व प्रभावी इस्तेमाल बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा, “PRID-MPA के जरिए हम फेडरल और सिंध सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि स्कूलों और क्लीनिकों को बेहतर फंडिंग, ज्यादा न्यायसंगत टैक्स सिस्टम और मजबूत आंकड़ों के आधार पर फैसले लिए जा सकें।
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राजनीतिक हस्तक्षेप बना बड़ी चुनौती
विश्व बैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री टोबियास अख्तर हक ने कहा कि पाकिस्तान की राजकोषीय नींव को मजबूत करना व्यापक आर्थिक स्थिरता के लिए अनिवार्य है। उन्होंने माना कि राजनीतिक हस्तक्षेप और कमजोर संस्थान निवेश और विकास में बड़ी बाधा रहे हैं।
उनके मुताबिक, PRID-MPA के जरिए—
• राजस्व प्रशासन मजबूत किया जाएगा
• बजट क्रियान्वयन सुधारा जाएगा
• ह्यूमन कैपिटल और जलवायु अनुकूलन में निवेश बढ़ेगा
• आंकड़ों और निगरानी प्रणाली को सशक्त बनाया जाएगा
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि पैसा सीधे जमीनी स्तर तक पहुंचे और आम लोगों को इसका वास्तविक लाभ मिले।
पाकिस्तान पर बढ़ती निर्भरता?
विशेषज्ञों का मानना है कि बार-बार अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से कर्ज और सहायता लेना पाकिस्तान की आर्थिक निर्भरता को दर्शाता है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या शहबाज शरीफ सरकार इस भारी भरकम रकम का उपयोग वास्तव में सुधारों के लिए कर पाएगी या नहीं।
