दिल्ली यूनिवर्सिटी शुरू करेगी ‘नेगोशिएटिंग इंटिमेट रिलेशनशिप’ कोर्स

(विशेष रिपोर्ट – राजकुमार मणि)
आज के तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धात्मक जीवन में जहां तकनीक ने लोगों को जोड़ा है, वहीं भावनात्मक जुड़ाव कमजोर होता जा रहा है। रिश्ते पहले जितने मजबूत और स्थायी थे, अब पल भर में टूट जाते हैं। युवाओं में बढ़ती भावनात्मक असुरक्षा, असहमति की स्थिति में आक्रोश और रिश्तों को निभाने की घटती समझ समाज के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। इसी पृष्ठभूमि में दिल्ली विश्वविद्यालय (DU) ने एक सराहनीय और क्रांतिकारी कदम उठाने की योजना बनाई है — ‘नेगोशिएटिंग इंटिमेट रिलेशनशिप’ नामक कोर्स।
क्या है इस कोर्स का उद्देश्य?
यह कोर्स युवाओं को रिश्तों की गहराई, संवेदनशीलता और संप्रेषण की कला सिखाने के उद्देश्य से तैयार किया जा रहा है। इसमें यह समझाया जाएगा कि व्यक्तिगत और भावनात्मक संबंधों में कैसे सहमति, सम्मान, संवाद और समझदारी बनाए रखी जाए।
कोर्स का मुख्य उद्देश्य छात्रों को यह सिखाना है कि:
अंतरंग रिश्तों में आपसी सहमति का क्या महत्व है।कैसे सीमाओं को समझा और स्वीकार किया जाए।असहमति या मतभेद की स्थिति में शांतिपूर्ण ढंग से संवाद कैसे किया जाए।यौन शिक्षा, लैंगिक समानता और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं को कैसे समझा जाए
कोर्स की संरचना – दिल्ली यूनिवर्सिटी के अनुसार, यह कोर्स एक वैकल्पिक विषय (Elective Subject) के रूप में पेश किया जाएगा। इसकी रूपरेखा सामाजिक विज्ञान, मनोविज्ञान, जेंडर स्टडीज़ और कम्युनिकेशन जैसे विषयों के विशेषज्ञों द्वारा तैयार की जा रही है। इसमें इंटरएक्टिव लेक्चर, केस स्टडी, ग्रुप डिस्कशन और प्रैक्टिकल वर्कशॉप जैसी गतिविधियां शामिल होंगी, ताकि छात्र न केवल सैद्धांतिक ज्ञान लें, बल्कि उसे व्यवहारिक रूप से भी समझ सकें।
क्यों है यह कोर्स आज के समय की जरूरत?
आज के डिजिटल युग में रिश्ते सोशल मीडिया और चैट तक सीमित हो गए हैं। भावनाओं को व्यक्त करने की बजाय लोग ब्लॉक, अनफॉलो या म्यूट जैसे विकल्पों का सहारा लेने लगे हैं। नतीजतन, मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं, तनाव, ब्रेकअप के बाद की असहजता, और आक्रामकता बढ़ती जा रही है। ऐसे में यह कोर्स एक व्यवहारिक और मानसिक तैयारी देने का माध्यम बन सकता है, जिससे युवा अपने रिश्तों को बेहतर समझ सकें और उन्हें स्वस्थ रूप से संभालना सीख सकें।
विशेषज्ञों की राय
मानव व्यवहार विशेषज्ञों और शिक्षाविदों ने इस पहल की सराहना की है। उनका मानना है कि यह कोर्स न केवल रिश्तों को सहेजने में मदद करेगा, बल्कि समाज में लैंगिक संवेदनशीलता, सहमति की संस्कृति और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता भी बढ़ाएगा।
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