बलिया (राष्ट्र की परम्परा)
कस्बा सहित आसपास गांवों में आंवला नवमी (अक्षय नवमी) उत्साह से मनाया गया। महिलाओं ने घरों में पकवान बनाकर आंवला वृक्ष की पूजा अर्चना कर परिवार के साथ वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन किया। पर्व को लेकर मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर परिवार समेत पकवान बनाकर भोजन करने से परिवार में आरोग्यता व सुख-समृद्धि आती है। बुधवार को अक्षय नवमी को लेकर सुबह से ही आंवला पेड़ों का पूजन करने के लिए महिलाओं की कतारें लग गई। पं. विजय शंकर दूबे ने बताया कि अक्षय नवमी पर किया गया जप, तप, दान इत्यादि व्यक्ति को सभी पापों से मुक्त कर मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला होता है, इस दिन किया गया पुण्य कभी समाप्त नहीं होता है। आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर परिवार समेत भोजन करने से भोजन अमृत के समान हो जाता है और इससे आरोग्यता रहती है। अगर आंवले की पूजा करना और इसके नीचे बैठकर भोजन बनाना और खाना संभव नहीं हो तो इस दिन आंवले का सेवन करने का प्रयास अवश्य करें जो बेहद लाभप्रद रहेगा। मान्यता है कि लक्ष्मी माता ने आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन बनाकर भगवान विष्णु और भगवान शिव को भोजन कराया और स्वयं भोजन किया था। तभी से आंवला वृक्ष पूजन की यह परंपरा चली आ रही है।
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