Friday, November 14, 2025
Homeउत्तर प्रदेशबोया पेंड़ बबूल का आम कहाँ से होय

बोया पेंड़ बबूल का आम कहाँ से होय

करता था सो क्यों किया,
अब करि क्यों पछताय।
बोया पेड़ बबूल का
आम कहां से खाये॥

बुरा मत सोचो, बुरा मत
कहो और बुरा मत देखो,
गांधी जी के तीनों बानरों,
जैसा सबका जीवन होय,
किसी का बुरा जो सोचना
अपना बुरा ही होय,
औरों का भला करो तो,
अपना भला भी होय ॥

मूरख हृदय न चेत
जो गुरु मिलै बिरंचि सम।
फूलहिं फलहिं न बेंत,
जदपि सुधा बरसहिं जलधि॥

मूर्ख व्यक्ति को गलती बतलाना,
उसकी घृणा का पात्र बन जाना है,
विद्वत जन की गलती इंगित करना,
उससे प्रशंसा और सम्मान पाना है।

बुरी सोच पाकर खुद का
मन मैला हो जाता है,
सकारात्मकता तज,
नकारात्मक बन जाता है।

जीवन में दुःख, अशांति, ईर्ष्या, द्वेष
जैसे विध्वंसक विचार बन जाते हैं,
सकारात्मकता से सृजन, शांति, प्रेम
व विकास हम सब अपना पाते हैं ।

लोभ, मोह, स्वार्थ आदि भाव
बुरी सोच के कारक ही होते हैं,
औरों का अहित भी करने में,
तब ऐसे लोग नहीं सकुचाते हैं।

प्रेम और अपनत्व सभी के प्रति
जब मानव मन में पैदा होते हैं,
सबके हित साधन के कारक,
आदित्य तभी सब अपना लेते हैं।

•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments