
महागठबंधन की बड़ी राजनीतिक रणनीति को टालने का निर्णय, आरजेडी ने दी आधिकारिक जानकारी
पटना (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) बिहार की राजनीति में बहुचर्चित और बहुप्रतीक्षित ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ की रफ्तार पर फिलहाल विराम लग गया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव द्वारा 10 अगस्त से सासाराम से इस यात्रा की शुरुआत की योजना थी, लेकिन अब इसे स्थगित कर 15 अगस्त के बाद आयोजित किए जाने की घोषणा की गई है।
राष्ट्रीय जनता दल ने इस बाबत आधिकारिक जानकारी देते हुए बताया कि कुछ “अपरिहार्य कारणों” के चलते यह निर्णय लिया गया है। पार्टी के प्रदेश प्रधान महासचिव रणविजय साहू ने 4 अगस्त को जारी पहले के कार्यक्रम को निरस्त मानने की बात कही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यात्रा की नई तारीखों और संशोधित कार्यक्रम की घोषणा जल्द ही सार्वजनिक की जाएगी।
क्या थी ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ की योजना? ‘महागठबंधन’ द्वारा आयोजित इस यात्रा को दो चरणों में विभाजित किया गया था, जो बिहार के विभिन्न जिलों से होते हुए राजधानी पटना तक पहुंचने वाली थी। यात्रा का मुख्य उद्देश्य था:
मतदाता सूची में कथित अनियमितताओं को उजागर करना,ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर जनता को जागरूक करना,लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली हेतु संवाद स्थापित करना
यात्रा में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी वाड्रा की भी भागीदारी की संभावना जताई जा रही थी। माना जा रहा था कि यह यात्रा आगामी चुनावी रणनीति का आधार बनेगी और विपक्षी एकता को भी मजबूती देगी।
स्थगन का राजनीतिक असर ‘मतदाता अधिकार यात्रा’ को बिहार में महागठबंधन की ताकत दिखाने वाले बड़े राजनीतिक अभियान के रूप में देखा जा रहा था। ऐसे में इसके टलने से राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। हालांकि, आरजेडी और कांग्रेस दोनों ही दलों ने स्पष्ट किया है कि यह केवल तारीखों में परिवर्तन है, यात्रा की मंशा और उद्देश्य यथावत रहेंगे।
जनता और कार्यकर्ताओं की उत्सुकता को देखते हुए यह तय है कि नई तिथियों की घोषणा होते ही यात्रा को पुनः उतनी ही ऊर्जा और जोश के साथ आरंभ किया जाएगा।
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