
AI सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, आत्मनिर्भरता व अवसर का माध्यम भी : अविनाश त्रिपाठी
भविष्य नहीं, वर्तमान का यथार्थ है ए.आई. : अविनाश त्रिपाठी
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के श्रीगुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ में एआई फॉर एवरीवन विषय पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान संपन्न हुआ। जिसके मुख्य अतिथि व वक्ता अमेरिका के विख्यात डेटा एवं एआई विशेषज्ञ व यूनिवर्सिटी ऑफ फीनिक्स के वाइस प्रेसिडेंट अविनाश त्रिपाठी ने अपना विशद व्याख्यान प्रस्तुत किया।
मुझे अतिथि श्री त्रिपाठी ने अपने संबोधन में कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कोई भविष्य की तकनीक नहीं, बल्कि वर्तमान का यथार्थ है, और इसका असर अब केवल इंजीनियरों या वैज्ञानिकों तक सीमित नहीं है। उन्होंने बताया कि एआई का प्रभाव नौकरी, स्वास्थ्य, शिक्षा और शासन जैसे हर क्षेत्र में तेजी से बढ़ रहा है।
श्री त्रिपाठी ने कहा कि नौकरी क्षेत्र में 34% एआई रिपिटेटिव कार्यों को ऑटोमेट कर रहा है और नए करियर विकल्प पैदा कर रहा है। स्वास्थ्य में 30%, शिक्षा में (25%), शासन व्यवस्था में 15% एआई के प्रयोग से पारदर्शिता और दक्षता बढ़ रही है।
उन्होंने यह भी बताया कि आज का युवा चैटजीपीटी, डॉल·ए, गूगल टीचेबल मशीन, कैनवा मैजिक स्टूडियो और खान एकेडमी के एआई टूल्स जैसी तकनीकों के माध्यम से बिना कोडिंग के भी एआई का अनुभव प्राप्त कर सकता है।
श्री त्रिपाठी ने युवाओं से आग्रह किया कि वे अंग्रेज़ी या तकनीकी ज्ञान की चिंता किए बिना, जिज्ञासा, संवेदनशीलता और प्रतिबद्धता के साथ एआई की दुनिया में कदम रखें।
एआई समझना अब विकल्प नहीं, आवश्यकता है। जो इसे समझेगा, वही भविष्य का निर्माण करेगा।
उन्होंने एआई के साथ जुड़े जोखिमों— जैसे डेटा गोपनीयता, जॉब ऑटोमेशन और एल्गोरिथमिक पक्षपात — पर भी चर्चा की और छात्रों को “समझदारी से कोड करने” का संदेश दिया।
कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. पूनम टंडन, प्रो. शांतनु रस्तोगी, प्रो. हिमांशु पांडेय, प्रो. एस.एन. तिवारी, प्रो. मनीष मिश्रा, प्रो. उपेंद्र नाथ त्रिपाठी, प्रो. राजीव त्रिपाठी समेत कंप्यूटर साइंस, इंजीनिरिंग और टेक्नोलजी के कई फैकल्टी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
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