
1- दोस्ती में ख़ारिज हुआ पर हारा नहीं हूँ
स्वस्थ तंदुरुस्त रहने का राज मेरा
कुछ लोग, कुछ मेरे मित्र पूँछते हैं,
इतना ख़ुश और संतुष्ट रहने की,
वजह वह अक्सर मुझसे पूँछते हैं।
सो जाता हूँ रात दस बजे तक,
उठ जाता हूँ तड़के पाँच बजे तक,
घंटा सवा घंटा टहल भी लेता हूँ,
इसलिये स्वस्थ भी मैं रहता हूँ ।
शुभरात्रि हो और फिर सुप्रभात हो,
मीठी निद्रा का स्वस्थ सहारा हो,
मीठे सपने देख सकें, जो प्यारा हो,
‘जल्दी सोना जल्दी उठना’ नारा हो।
जल्दी सोना, जल्दी उठना हम सबको,
स्वास्थ्य से धनी व बुद्धिमान बनाता है,
शारीरिक स्फूर्ति रक्तसंचार बढ़ाता है,
दिनचर्या व जीवन सरल हो जाता है।
दोस्ती का भी एक सिद्धांत होता है,
दोस्त की बात पर विश्वास होता है,
दोस्ती का रिश्ता बिना शर्त होता है,
स्वार्थ में टकराव तो ग़लत होता है।
आदित्य यही वह बात होगी जो,
उनको किंचित चुभ जाती होगी,
दोस्ती तोड़ना तो भूल उनकी होगी,
आज नहीं कल ज़रूरत मेरी होगी।
दोस्ती में ख़ारिज हुआ पर हारा नहीं हूँ
आदित्य अवसर गँवाया किसी और ने,
तड़पेंगे वो भी जब याद आयेगी मेरी,
अफ़सोस आज मानी नहीं बात मेरी।
2- क्रोध व गलती पर रुकना झुकना
कोई जरुरी नहीं कि हर बार शरीर
की जांच में कैल्शियम, विटामिन,
खून की कमी हो या रक्त चाप बढ़ने
की वजह से ही दिल की बीमारी हो।
व्यक्तित्व की भी जाँच रिपोर्ट करवा
कर देखिये, क्या पता दया, करुणा,
दोस्ती, व्यावहारिकता और इंसान
की इंसानियत भी कुछ घट रही हो।
बिलकुल सही सटीक विचार है यह,
यही हो रहा है आज इस जमाने में,
किसके किसके खून की जाँच करेंग़े,
जनाब मर्ज़ फ़रेब का फैला है सबमें।
हो सकता है एक आध पर या हम
आप पर यह लागू नहीं होता हो,
लेकिन यही सच है कि ऐब और
फ़रेब फैल चुका है हर रग-रग में।
मस्तिष्क का लोलक तो समझ व
नासमझ के बीच हिलता रहता है,
लेकिन इस से सही या ग़लत का
कोई अन्दाज़ कहाँ मिल पाता है।
मिट्टी के पात्र या पारिवार के मूल्य
का ज्ञान उन्हें बनाने वालों को होता है,
उन्हें तोड़ने वाला तो क्रोध व अहंकार
के तामसिक रोग से ग्रसित होता है।
क्रोध के रोग से निरोग होना हो तो
क्रोध को रोक कर सोच विचार करें,
आदित्य भूल सुधार के लिये झुककर
हर समस्या का आसान समाधान करें।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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