भारत के लिए चुनौती:-अमेरिका के आगे झुकना नहीं, संबंध तोड़ना नहीं, सम्मान को छोड़ना नहीं
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर आज दुनियाँ का हर देश ट्रंप के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के बाद से उनके द्वारा दिए गए विभिन्न बयानों व व्यवहार से सख़्ती में है व सोचनें के लिए मजबूर है कि, वह क्या करें? क्योंकि ट्रंप चुनावी वादों अमेरिका फर्स्ट,व मेक अमेरिका ग्रेट अगेन के लिए वित्त के विभिन्न स्रोतों का जुगाड़ कर रहे हैं, वह भी एक नए अंदाज में, टैरिफ का दबाव बनाकर! उन देशों को अपनी शर्तों, मांगों को मानने पर विवश कर रहे हैं, यह हमने देखे कि चीन पर 145 परसेंट तो कनाडा और पूरे यूरोपीय यूनियन तक सभी देशों में टैरिफ के माध्यम से दबाव का का खेला खेलने को हम देख रहे हैं,अब 1 अगस्त से भारत पर 25 परसेंट टैरिफ की घोषणा, फिर उसे संशोधन कर 7 अगस्त तक बढ़ाया जाना, फिर आज मंगलवार 5 अगस्त 2025 को देर शाम उन्होंने कहा कि भारत रूस से तेल लेकर अप्रत्यक्ष रूप से रूस यूक्रेन युद्ध में वित्तीय फंडिंग के रूप में मदद कर रहा है,उसे रुस से तेल खरीदना बंद करना होगा। अमेरिका अगले 24 घंटे में भारत पर टेरिफ बढ़ा देगा।मैं एडवोकेट किशन सनमुख दास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं, चूँकि वह दिन अब लग गए जब भारत पर दबाव बनाकर उसके अटल इरादों को डगमगा दिया जाता था,अब भारत इतना आगे बढ़ चुका है कि वह अपनी मर्जी, अपने दम व अपनी शर्तों पर राष्ट्रहित सर्वोपरि पर काम करेगा, यानें मेक इन इंडिया व विजन 2047 को ध्यान में रखते हुए ही राष्ट्रहित में रणनीति बनाकर काम किया जाएगा। बता दें ट्रंप मेक अमेरिका ग्रेट अगेन व अमेरिकी फर्स्ट की नीति पर चल रहे हैं, जो उनके चुनावी वादे का एक हिस्सा है।अब भारत अमेरिका दोनों देश अपने राष्ट्र को ग्रेट बनाना चाहते हैं, जो अच्छी बात है। परंतु इसके लिए दबाव नीति रूपी अस्त्र का उपयोग करना उचित मानदंडों के खिलाफ है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे अमेरिका व यूरोपीय यूनियन द्वारा रुस पर लगाए प्रतिबंधों के बावजूद प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा खरीद रहे हैं, तो भारत के साथ ऐसा प्रस्ताव क्यों?
साथियों बात अगर हम ट्रंप की धमकी को ऊर्जा,राजनीति व दबाव की रणनीतिक कड़ी के रूप में देखें तो,ट्रंप की धमकी और अमेरिका का वास्तविक रुख:-डोनाल्ड ट्रंप ने 31 जुलाई और 5 अगस्त 2025 को दो बार भारत को धमकाया कि यदि रूस से तेल खरीदना बंद नहीं किया गया तो अमेरिका भारत पर “24 घंटे के भीतर बहुत बड़े टैरिफ” लगा देगा।उन्होंने भारत पर आरोप लगाया कि वह:सस्ता तेल रूस से खरीदता है, उसे अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में ऊँचे दामों पर बेचता है,और इस प्रकार “युद्ध को फंड कर रहा है”।लेकिन इस कथन में दो प्रमुख विरोधाभास हैं: (1) संयुक्त राज्य अमेरिका स्वयं 2024-25 में दुनिया का सबसे बड़ा तेल निर्यातक बन चुका है। (2) अमेरिका ने यूरोप को ऊर्जा आपूर्ति के लिए बड़े समझौते किए हैं जो रूस की जगह लेने के नाम पर खुद लाभ कमा रहे हैं।भारत पर अमेरिका की तेल नीति और शुल्क धमकी:-डोनाल्ड ट्रंप ने 31 जुलाई और 4-5 अगस्त 2025 को दोहराकर स्पष्ट किया कि भारत की रूस से तेल खरीद को वह “युद्ध मशीन को ईंधन देना” मानते हैं, और इस वजह से भारत से आयात पर 25पेर्सेंट से कहीं अधिक “बहुत बड़ी” टैरिफ वृद्धि करेंगे।उन्होंने आरोप लगाया कि भारत रूस से तेल खरीदकरडिस्काउंट पर और फिर उसे ओपन मार्किट में “मुनाफे के लिए” बेचता है,रेउटर्स और इंडिया टाइम्स सहित रिपोर्टों के अनुसार, जनवरी-जून 2025 में भारत की कुल तेल खपत का लगभग 36-40 पेर्सेंट हिस्सा रूस से आया था अमेरिका और यूरोप स्वयं कितना तेल खरीद रहे हैं?यूरोपीय संघ:यूरोस्टात के आंकड़ों के अनुसार अर्ली 2025 तक ईयू ने पेट्रोलियम ऑयल आयात में मार्च‑2021 की तुलना में मूल्य में ~56 पेर्सेंट वृद्धि, मात्रा में थोड़ा ~+0.3 पेर्सेंट बढ़ोतरी दर्ज की-हालांकि 2022 के बाद क्रमशः दोनों में गिरावट आई है।2024 में ईयू ने अमेरिका से करीब €76 बिलियन मूल्य एलएनजी, पेट्रोलियम और कोयला आयात किया-कुल यूएस ऊर्जा निर्यात $ 318 बिलियन में से ईयू का हिस्सा लगभग 24 पेर्सेंट था।यूरोप को आपूर्ति में यूएस का हिस्सा 2024 में एलएनजी में ~44पेर्सेंट, तेल में ~15.4पेर्सेंट था अमेरिका:- -अमेरिका ने 2024 में रोजाना औसतन 4.1 मिलियन बैरल/दिन क्रूड ऑयल निर्यात किया — 2023 से नए रिकॉर्ड को पार करते हुए यूरोपीय देशों में सबसे ज्यादा रॉ डिलीवरी नॅदरलैंड को (लगभग 8.25 लाख ब/दिन), फिर जर्मनी, यूके आदि को हुई। उसी वर्ष भारत को अमेरिका की क्रूड ऑयल निर्यात में 32 पेर्सेंट की वृद्धि हुई- रूस से सस्ता तेल मिलने पर भी, भारत यूएस. क्रूड को भरपूर स्थान दे रहा है: लगभग 55,000 बैरल/दिन की बढ़ोतरी।
साथियों बात अगर हम ट्रंप द्वारा भारत की रणनीतिक स्वायत:ता पर प्रश्न खड़ा करने की करें तो,ट्रंप ने कहा कि अगले 24 घंटे में (5-6 अगस्त 2025 तक) भारत पर आयात टैरिफ “बहुत बड़े पैमाने पर” बढ़ा सकते हैं, वर्तमान में 25 पेर्सेंट के स्थान पर 50 पेर्सेंट, 100 पेर्सेंट, या उससे भी ज़्यादा तक।यूएस. कांग्रेस में “सैंक्शनिंग रूस एक्ट ऑफ़ 2025” प्रस्तावित है, जिसमें ऐसे देशों पर 500 पेर्सेंट सेकेंडरी टैरिफ लगाने का अधिकार राष्ट्रपति को दिया गया है जो रूसी ऊर्जा आयात करते हैं (विशेष रूप से भारत, चीन) यह बिल लिंडसे ग्राहम और रिचर्ड ब्लूमेंथाल द्वारा लाया गया है और समर्थन प्राप्त कर रहा है।द्विपक्षीय संबंधों और आर्थिक प्रभाव यह तनाव, केवल तेल-सम्बंधित नहीं-भारत और यूएस के बीच व्यापार और विदेश नीति पर गहरा प्रभाव डाल रहा है, जिसमें कृषि और रक्षा संबंध शामिल हैं रेटिंग एजेंसीयों नेअनुमान लगाया कि रेसिपीरोकल टैरीफज़ से भारत को $ 7-18 बिलियन वार्षिक नुकसान हो सकता है, और जीडीपी वृद्धि रेट में मामूली गिरावट (~0.2पेटसेंट) आ सकती है जबकि तेल और ऊर्जा लागत में $11 बिलियन तक का इज़ाफा हो सकता है।लेकिन भारत की नई उद्यमशील (स्टार्टअपस) और बुनियादी व्यापारिक भरोसा अभी भी मजबूत बना हुआ है-उन्होंने भविष्य के लिए भारत में निवेश यकीनी माना है। संयुक्त दृष्टिकोण: अमेरिका और ईयू-जहाँ खुद ब्लॉक को रूसी ऊर्जा आयात से दूर करने की योजना चल रही है-वह सीमित दायरे में भारत पर ही कठोर हैं। यह विश्व राजनीति में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता पर प्रश्न खड़े करता है।ऊर्जा नीति:-भारत को ऊर्जा सुरक्षा के लिए विविध स्रोतों से तेल प्राप्त करना महत्त्वपूर्ण है, हालाँकि यूएस. से निर्यात बढ़ना एक अवसर है लेकिन वो रूस से प्राप्त सस्ते स्रोत की जगह तुरंत नहीं ले सकते। राजनीतिक संतुलन:-ट्रंप प्रशासन का रुख, हालाँकि चाइना, पाकिस्तान को भी थोड़ा अलग तरीके से देखा-दिल्ली को मुश्किल चुनाव करना होगा:- या ट्रंप की मांगों को स्वीकार किया जाए और रिश्तों को बनाए रखा जाए,या रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखते हुए आर्थिक- पॉलिटिकल रुख अपनाया जाए।
अतः अगर हम उपलब्ध पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि ट्रंप की धमकी बनाम राष्ट्रीय हित सर्वोपरि,भारत फर्स्ट की नीति,भारत के लिए चुनौती:- अमेरिका के आगे झुकना नहीं, संबंध तोड़ना नहीं, सम्मान को छोड़ना नहीं,अमेरिका व यूरोपीय यूनियन द्वारा रुस पर लगाए प्रतिबंधों के बावजूद प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से ऊर्जा खरीद रहे हैं तो भारत के साथ ऐसा बर्ताव क्यों?
–संकलनकर्ता लेखक – क़र विशेषज्ञ स्तंभकार साहित्यकार अंतरराष्ट्रीय लेखक चिंतक कवि संगीत माध्यम सीए (एटीसी) एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानीं गोंदिया महाराष्ट्र
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