
आगरा(राष्ट्र की परम्परा)
दौलत, बंगला, गाड़ी, बड़ी-बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी हम एक फटा हुआ जुराब (मोज़ा) तक साथ नहीं ले जा सकते। लिहाज़ा सभी को कोशिश करनी चाहिए कि किसी भी असहाय, ग़रीब और जरूरतमंद को रूपये पैसों के लिए दुःख नहीं देना चाहिए और धन को नेक कार्य में ही लगाना चाहिए।
सुप्रशिद्ध एवं लोकप्रिय शिवभक्त राजेश खुराना ने इस सन्दर्भ में प्राप्त जानकारी के अनुसार बताया कि कुछ समय पूर्व एक दौलतमंद इंसान ने अपने बेटे को वसीयत में नसीहत देते हुए कहा – “बेटा मेरे मरने के बाद मेरे पैरों में ये फटे हुऐ जुराबें पहना देना, मेरी यह इच्छा ज़रूर पूरी करना। पिता के मरते ही स्नान के बाद, बेटे ने पंडितजी से पिता की आखरी इच्छा बताई, लोगों ने कहा – “हमारे धर्म में कुछ भी पहनाने की इज़ाज़त नही है।” पर बेटे की ज़िद थी कि पिता की आखरी इच्छा पूरी हो, बहस इतनी बढ़ गई की शहर के विद्वानों को जमा किया गया, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। इसी माहौल में एक व्यक्ति आया और आकर बेटे के हाथ में पिता का लिखा हुआ खत दिया। जिस में पिता की नसीहत लिखी थी – “मेरे प्यारे बेटे” देख रहे हो ? दौलत, बंगला, गाड़ी और बड़ी-बड़ी फैक्ट्री और फॉर्म हाउस के बाद भी मैं एक फटा हुआ मोजा तक नहीं ले जा सकता। एक रोज़ तुम्हें भी मृत्यु आएगी, आगाह हो जाओ, तुम्हें भी एक सफ़ेद कपडे में ही जाना पड़ेगा। लिहाज़ा कोशिश करना, पैसों के लिए किसी असहाय, ग़रीब और जरूरतमंद को दुःख मत देना, ग़लत तरीक़े से पैसा ना कमाना, धन को सदैव नेक कार्य में ही लगाना क्योंकि शरीर छूटने के बाद सिर्फ कर्म ही साथ जाएंगे, लेकिन फिर भी आदमी तब तक धन के पीछे भागता रहता है। जब तक उसका निधन नहीं हो जाता। इसीलिए हमारे बुजुर्ग अक्सर कहते थे कि जिस हिंदू के ह्रदय में ग़रीब, असहाय और कमजोर हिन्दू के प्रति दया, करुणा एवं ममता नहीं उसकी धन – दौलत, शौहर, रुतवा और ताकत आदि सब व्यर्थ हैं।
राष्ट्रवादी सामाजिक चिंतक खुराना ने आगे बताया कि बदल जाओ वक़्त के साथ या फिर वक़्त बदलना सीखो, मजबूरियों को मत कोसों हर हाल में छलांग लगाना सीखो। मत फेंक पत्थर पानी में, उसे भी कोई पीता है, मत रहो यूं उदास जिन्दगी में, तुम्हें देखकर भी कोई जीता है। कामयाब होने के लिए जिन्दगी में कुछ ऐसा काम करो कि लोग आपका नाम फेसबुक पर नही गूगल पे सर्च करें, लेकिन आप जीवन में कितने भी ऊॅचे क्यों न उठ जाएं, पर अपनी गरीबी और माता पिता द्वारा उड़ाई गयी कठिनाई को कभी मत भूलिए और जब लोग आपकी नकल करने लगें तो समझ लेना चाहिए कि आप जीवन में सफल हो रहे हैं। एक मिनट मे जिन्दगी नहीं बदलती लेकिन एक मिनट सोचकर लिखा फैसला पूरी जिन्दगी बदल देता है। आपसे जो लोग दिल से बात करता है उन्हे कभी दिमाग से जवाब मत देना, क्योंकि फेसबुक पर 5 हजार मित्र बनाना आम बात है, लेकिन सालों तक एक मित्र से मित्रता निभाना बहुत खास बात है। दुनिया की सबसे सस्ती चीज है सलाह, एक से मांगो हजारो से मिलती है। किसी की सलाह से रास्ते ज़रूर मिलते हैं लेकिन मंजिल तो ख़ुद की मेहनत से ही मिलती हैं और सहयोग हजारों से मांगो एक से मिलता है। वाणी में भी अजीब शक्ति होती है। कड़वा बोलने वाले का शहद भी नहीं बिकता और मीठा बोलने वाले की मिर्ची भी बिक जाती है। इसीलिए हमारे बुजुर्ग बोलते थे कि “इंसान एक दुकान है और जुबान उसका ताला, ताला खुलता है, तभी मालूम होता है कि दुकान सोने की है या कोयले की हैं।” पता हैं जीवन में सबसे बड़ी खुशी उस काम को करने में है जिसे लोग कहते हैं कि तुम नही कर सकते हो। दुनिया विरोध करे तुम डरो मत, क्योंकि जिस पेङ पर फल लगते है दुनिया उसे ही पत्थर मारती है। वहीं, जीत और हार आपकी सोच पर ही निर्भर है। मान लो तो हार होगी और ठान लो तो निश्चित ही जीत होगी, क्योंकि सुखी संतोषी व्यक्ति दिखावा नहीं करतें, बोलते कम हैं, सीखते ज्यादा हैं, मददगार होते हैं, दूसरों की खिल्ली नहीं उड़ाते और मानवता के अपने गुणों के चलते निरर्थक उलझते एवं उछलते भी नहीं हैं। इसलिए हमारी सभी से विनम्र अपील हैं कि ज़रूरतमंदों का और बेज़ुबानों का ध्यान रखें। क्योंकि सच्चे मन से किया गया कार्य समाज में सदैव मान सम्मान दिलाता हैं।
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