18 नवंबर: का इतिहास
18 नवंबर इतिहास के उन नायकों को स्मरण करने का दिन है, जिन्होंने अपने-अपने क्षेत्र में मील के पत्थर स्थापित किए। अलग-अलग कालखंडों में दिवंगत हुए ये व्यक्तित्व देश, समाज और संस्कृति पर अमिट छाप छोड़ गए। उनके कार्य आज भी प्रेरणा के स्तंभ बनकर हमें मार्गदर्शन देते हैं।
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मृदुला सिन्हा (2020)
भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता मृदुला सिन्हा न सिर्फ राजनीति, बल्कि साहित्य और सामाजिक सेवा की दुनिया में भी अत्यंत प्रतिष्ठित रहीं। गोवा की राज्यपाल के रूप में उन्होंने प्रशासन को मानवीय संवेदनाओं से जोड़ने का प्रयास किया। संस्कृतिक विषयों पर उनकी लेखनी ने हिंदी साहित्य को नई दिशा दी। ग्रामीण महिलाओं की शिक्षा, स्वावलंबन और संस्कृति संरक्षण के लिए उनका योगदान इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज है। उनका जीवन देश सेवा, सरलता और सामाजिक उत्थान का प्रतीक बनकर सदैव प्रेरणा देता रहेगा।
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ज्योति प्रकाश निराला (2017)
अशोक चक्र से सम्मानित शहीद ज्योति प्रकाश निराला भारतीय वायु सेना के गरुड़ कमांडो दस्ते का वह नाम हैं, जिन्होंने आतंकियों से लड़ते हुए अतुलनीय साहस का परिचय दिया। ऑपरेशन के दौरान साथियों को बचाते हुए उन्होंने जिस अदम्य वीरता से दुश्मनों का सामना किया, वह सैन्य इतिहास में एक गौरवमयी अध्याय बन गया। उनका बलिदान राष्ट्र की सुरक्षा और वीरता की सर्वोच्च मिसाल है। निराला की शहादत हर भारतीय युवा को देश के प्रति समर्पण और कर्तव्य की प्रेरणा देती है।
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धीरेन्द्र नाथ गांगुली (1978)
बंगाली सिनेमा के प्रख्यात अभिनेता और निर्देशक धीरेन्द्र नाथ गांगुली भारतीय फिल्म उद्योग की नींव मजबूत करने वाले अग्रदूतों में शामिल थे। उन्होंने न सिर्फ अभिनय में अपनी प्रतिभा दिखाई, बल्कि कई यादगार फिल्मों का निर्देशन कर भारतीय सिनेमा को नई दिशा दी। तकनीकी सुधार, रचनात्मकता और कलात्मक दृश्यों के प्रयोग में उन्होंने साहसिक कदम उठाए। गांगुली की कला भारतीय फिल्म इतिहास में सजीव स्मारक की तरह है, जो आने वाली पीढ़ियों को सृजन और संवेदना का संदेश देती है।
एस. वी. कृष्णमूर्ति राव (1968)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के समर्पित नेता एस. वी. कृष्णमूर्ति राव ने राजनीति को सेवा का माध्यम माना। सामाजिक न्याय, ग्रामीण उन्नति और राष्ट्र निर्माण से जुड़े उनके योगदान ने उन्हें जनता का प्रिय नेता बनाया। उन्होंने हमेशा लोकतांत्रिक मूल्यों और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। राव का राजनीतिक जीवन यह संदेश देता है कि प्रतिबद्धता, ईमानदारी और जनहित ही सशक्त राष्ट्र की नींव हैं।
शहीद शैतान सिंह (1962)
परमवीर चक्र से सम्मानित मेजर शैतान सिंह 1962 के भारत-चीन युद्ध के अद्वितीय नायक हैं। रेजांग ला की ऊँचाइयों पर दुश्मनों के विरुद्ध उनके नेतृत्व और अद्वितीय साहस ने सैन्य इतिहास को गौरवपूर्ण अध्याय दिया। अत्यंत प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अपने साथियों के साथ अंतिम सांस तक मातृभूमि की रक्षा की। उनका बलिदान राष्ट्रभक्ति, निष्ठा और अदम्यता की परिभाषा है।
अलेक्ज़ेंडर कनिंघम (1893)
ब्रिटिश पुरातत्वविद अलेक्ज़ेंडर कनिंघम को “भारतीय पुरातत्व का पिता” कहा जाता है। उन्होंने भारत के ऐतिहासिक स्थलों, प्राचीन अवशेषों और सांस्कृतिक धरोहरों का गहन अध्ययन किया। उनके सर्वेक्षणों ने भारत के प्राचीन इतिहास, बौद्ध तीर्थों और स्थापत्य को विश्व पटल पर पहचान दिलाई। कनिंघम के शोध आज भी भारतीय पुरातत्व की नींव माने जाते हैं और इतिहासकारों के लिए मार्गदर्शक हैं।
कर्नल जेम्स टॉड (1835)
राजस्थान के इतिहास को विश्व तक पहुँचाने का श्रेय कर्नल जेम्स टॉड को जाता है। उन्होंने राजपूत वीरता, संस्कृति, परंपरा और भू-राजनीति का विस्तृत अध्ययन कर “एनल्स एंड एंटीक्विटीज़ ऑफ राजस्थान” जैसे अमर ग्रंथों की रचना की। उनके लेखन ने राजस्थानी समाज की वीरगाथाओं को अमर बना दिया। इतिहास का वास्तविक स्वरूप समझने में उनके कार्य आज भी आधारशिला माने जाते हैं।
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