मानव कल्याण मे बायोटेक्नोलॉजी निभा रही महती भूमिका: कुलपति
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी विभाग मे दो दिवसीय राष्ट्रीय कान्फ्रेंस का शुभारंभ सोमवार को हुआ। कान्फ्रेंस के पहले दिन बायोटेक्नोलॉजी के विभिन्न आयामों जैसे कृषि, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि पर चर्चा हुई।
मुख्य अतिथि नई दिल्ली के “जिनोमिक्स फाउन्डेशन” के अध्यक्ष तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान अवस्थित “नेशनल इंस्टीट्यूट आफ प्लांट बायोटेक्नोलॉजी” मे राष्ट्रीय प्रोफेसर तथा बीपी पाल चेयर प्रो. एनके सिंह रहे।
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पूनम टण्डन ने अपने वक्तव्य मे मानव जीवन के कल्याण मे बायोटेक्नोलॉजी की महती भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे नये नये आयाम स्थापित किए जा रहे हैं जिन पर और अधिक शोधकीआवश्यकता है ।
उन्होने कहा कि क्वांटीटी रिसर्च की तुलना मे क्वालिटी रिसर्च ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होने विश्वविद्यालय मे शोध को बढावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे मे विस्तार से बताया।
विशिष्ट अतिथि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. शान्तनु रस्तोगी ने कहा कि जीवन की उत्पत्ति आज भी एक सवाल बन कर खङा है।
कान्फ्रेंस के सह संयोजक प्रो. दिनेश यादव ने कान्फ्रेंस के थीम पर विस्तार से प्रकाश डाला।
उद्घाटन सत्र मे कान्फ्रेंस के संयोजक प्रो. राजर्षि कुमार गौर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया तथा धन्यवाद ज्ञापन कान्फ्रेंस के सह संयोजक प्रो. शरद कुमार मिश्र ने किया। उद्घाटन सत्र मे जीनोम फाउन्डेशन, नई दिल्ली तथा दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के बीच आपसी सहयोग हेतु सहमति पत्र पर कुलपति प्रो.पूनम टण्डन तथा प्रो. नागेन्द्र कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्विद्यालय गोरखपुर में “एडवांस्ड बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोसिस्टम्स” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के उपरांत पहले दिन तीन तकनीकी सत्र हुए। पहले तकनीकी सत्र में की-नोट व्याख्यान सहित कुल पांच व्याख्यान हुए। प्रोफेसर नागेंद्र कुमार सिंह, सीनियर साइंटिस्ट एनआईपीबी-आईएआरआई, नई दिल्ली, ने डिकोडिंग ऑफ प्लांट जीनोम इकोनॉमिकली इंपॉर्टेंट फॉर इंडिया विषय पर की-नोट व्याख्यान दिया।
प्रोफेसर सिंह ने जीनोमिक्स के मूलभूत सिद्धांतों एवं इसके अनुप्रयोगों पर चर्चा की। कंप्लीट फिजिकल मैपिंग, जीनोम सीक्वेंसिंग, हाइडेंसिटी डीएनए फिंगरप्रिंट, आईपीऑर प्रोटेक्शन ऑफ जर्मप्लाज्म, ट्रेट लिंक्ड एंड डीएनए मार्कर्स द्वारा प्लांट ब्रीडिंग को बढ़ाना व्याख्यान के प्रमुख बिंदु थे।
प्रोफेसर सिंह ने अपने व्याख्यान में चावल जीनोम अनुक्रमण के लिए भारतीय पहल, क्लोन दर क्लोन अनुक्रमण, बीएसी शॉटगन अनुक्रमण, अगली पीढ़ी अनुक्रमण के साथ साथ काला नमक एवं सांभा चावल में आइसोजेनिक लाइंस के ब्रीडिंग पर भी प्रकाश डाला। प्रोफेसर सिंह ने चावल के साथ साथ टमाटर, गेहूं, अरहर, जूट, आम, नीम, तुलसी, हल्दी आदि के जीनोम के अध्ययन एवं इनके अनुप्रयोगों का फूड सिक्योरिटी, सामाजिक तथा आर्थिक उत्थान में महत्व पर प्रकाश डाला।
सत्र का दूसरा व्याख्यान प्रोफेसर अभय कुमार पाण्डेय, इलाहाबाद विश्विद्यालय, प्रयागराज ने “मैनेजमेंट ऑफ रिडॉक्स होमियोस्टेसिस बाई नैचुरल प्रोडक्ट्स” विषय पर दिया। प्रोफेसर पाण्डेय होमियोस्टेसिस की की महत्ता के साथ साथ मानव शरीर में होमियोस्टेसिस को प्रभावित करने वाले कारकों पर विस्तृत चर्चा की। रिडॉक्स इंबैलेंस तथा ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस में फ्री रेडिकल्स की भूमिका एवं संरचना पर प्रकाश डाला। फ्री रेडिकल्स के कम रिएक्टिव से अधिक रिएक्टिव में बदलने में ट्रांजिशन मेटल के प्रभाव तथा फ्री रेडिकल्स द्वारा ऊतकों का विनष्टीकरण, रोगों के निवारण तथा जीन एक्सप्रेशन में महत्व को बताया।
सत्र का तीसरा व्याख्यान डॉ. मनीष कुमार गुप्ता, वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्विद्यालय, जौनपुर, ने “इंटीग्रेटिव नेटवर्क बायोलॉजी एप्रोच फॉर आइडेंटीफिकेशन ऑफ पोटेंशियल ड्रग टारगेट्स: थायराइड पाथवे अ केस स्टडी” विषय पर दिया। डॉ0 गुप्ता ने एकीकृत नेटवर्क जीव विज्ञान की विशेषताओं एवं अनुप्रयोगों के साथ साथ जीव विज्ञान का टोपोलॉजिकल दृश्य तथा मानव रोगों के लिए दृष्टिकोण पर विस्तृत वर्णन किया। व्याख्यान में डॉ गुप्ता ने विशेष रूप से ड्रग फॉर्मूलेशन, ड्रग डिजाइन, सिस्टम लेवल ज्ञान, इन-सिलिको मॉडल, पाथवे मॉडलिंग तथा विभिन्न मॉडलिंग तकनीकों में गणितीय अनुप्रयोगों पर विशेष जोर दिया।
सत्र का चौथा व्याख्यान डॉ0 गिरिजेश कुमार पटेल ने “पेशेंट सीरम-डिराइव्ड एक्सोसोमल कंटेंट्स मे सर्व ऐस अ नॉन-इनवेसिव मारकर डेवलपमेंट फॉर गॉलब्लेडर कैंसर” विषय पर दिया। गॉलब्लेडर के कार्यों, गॉलब्लैडर कैंसर से जुड़े खतरों तथा इस कैंसर का लिंग असमानता से संबंध के बारे में बताया। गॉलब्लैडर कैंसर की रोकथाम में आने वाली चुनौतियों से सभी प्रतिभागियों को अवगत कराया तथा इसके उपचार में प्रयुक्त होने वाले बायोमार्कर के लिए एक्ससोम एक संभावित स्रोत है।
सत्र का पांचवा व्याख्यान डॉक्टर शेखर जैन, मंदसौर विश्वविद्यालय, मध्य प्रदेश ने “माइक्रोबियल रेगुलेशन फॉर प्लांट डिफेंस जींस अनलॉकिंग मॉलेक्युलर स्विचस टू बूस्ट क्रॉप रेसिलियंस फॉर सस्टेनेबल एग्रीकल्चर एंड फूड सिक्योरिटी” विषय पर दिया।
डॉक्टर शेखर जैन ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट तथा फूड सिक्योरिटी के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत वर्णन किया ।
संगोष्ठी के पहले दिन प्रथम सत्र में पद्मश्री प्रोफेसर आरसी चौधरी, अध्यक्ष तथा डॉ अशोक कुमार, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय रिपोर्टर की भूमिका में थे। इस सत्र में देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों तथा अन्य शैक्षणिक संस्थानों से कुल 150 प्रतिभागी छात्र छात्राएं तथा विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के शिक्षक, विभाग अध्यक्ष तथा अधिष्ठाता उपस्थित रहे। कान्फ्रेंस के दूसरे तकनीकि सत्र मे इलाहाबाद विश्वविद्यालय के बायोकेमेस्टी विभाग के विभागाध्यक्ष तथा विज्ञान संकाय के संकायाध्यक्ष ने प्रो बेचन शर्मा ने मुख्य व्याख्यान दिया। उन्होने एड्स बीमारी के कारक एच आइ वी वाइरस के खिलाफ दवा विकसित करने के विभिन्न आयामो पर चर्चा की। दूसरे सत्र के अन्य वक्ता राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय के प्रो शैलेन्द्र कुमार, आइ आइ टी, गुहाटी की डाॅ कुसुम सिंह तथा पी जी आई लखनऊ के वैज्ञानिक डाॅ नवीन गौतम रहे। दूसरे सत्र की अध्यक्षता प्रो रविकांत उपाध्याय ने की। तीसरे तकनीकि सत्र मे विभिन्न प्रतिभागियों द्वारा मौखिक प्रस्तुति दी गई। बङी संख्या बायोटेक्नोलाजी से सम्बंधित पोस्टर भी प्रदर्शित किए गए।
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