प्रशासनिक लापरवाही से हज़ारों परिवारों की उम्मीदें अधर में
बलिया (राष्ट्र की परम्परा) प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (आवास प्लस 2024) के तहत बलिया जिले में चल रहा कार्य ‘घर-घर तक छत’ की सोच को ठोस धरातल पर उतारने में नाकाम साबित होता दिख रहा है। जिले में योजना के तहत 68,304 परिवारों ने ऑनलाइन माध्यम से सेल्फ सर्वे कराया, लेकिन सत्यापन मात्र 9,085 मामलों (17.89%) का ही हो पाया है। यह स्थिति न केवल प्रशासनिक शिथिलता को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि गरीबों के हित में बनाई गई इस महत्त्वाकांक्षी योजना पर कैसे लापरवाही की धूल चढ़ रही है।
कुछ ब्लॉकों में हल्की चमक, बाकी पूरी तरह फिसड्डी
बलिया के कुछ विकासखंडों की स्थिति अन्य की तुलना में थोड़ी बेहतर है:
चिलकहर – 34.24%
नवानगर – 30.27%
मनियर – 18.58%
जबकि अधिकांश ब्लॉकों की हालत चिंताजनक है:
दुबहर – 3.01%
मुरलीछपरा – 3.45%
पंदह – 5.83%
बैरिया – 5.41%
बेरुअरबारी – 5.15%
सबसे चिंताजनक स्थिति बैरिया ब्लॉक की है, जहां लेखा सत्यापन का कार्य अब तक शुरू ही नहीं हो सका है। रिपोर्ट के अनुसार, 6 ब्लॉकों में तो 100 नामों की भी पुष्टि नहीं हो सकी है, जो इस बात का संकेत है कि योजना से जुड़ी वास्तविकता कितनी बदतर है।
निचले स्तर से लेकर उच्चाधिकारियों तक फैली उदासीनता
योजना के तहत स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम पंचायत स्तर पर नियमित रूप से रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए, लेकिन हकीकत यह है कि निचले कर्मचारियों से लेकर जिम्मेदार अधिकारियों तक, सभी में उदासीनता साफ नजर आती है। ऐसी शिथिलता से न केवल योजना की साख पर बट्टा लग रहा है, बल्कि ज़मीनी हकदारों को भी इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
जनता में उबाल, उठने लगे सवाल
स्थानीय लोगों में योजना को लेकर नाराजगी और आक्रोश साफ दिखाई दे रहा है। उनका कहना है कि सरकार द्वारा करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद, जरूरतमंद गरीबों तक उसका लाभ नहीं पहुंच रहा।
एक ग्रामीण निवासी ने कहा, “हमने सर्वे करवा लिया, लेकिन अब तक कोई अधिकारी हमारे गांव में जांच करने नहीं आया। हर बार सिर्फ तारीख़ दी जाती है।”
क्या बलिया के हज़ारों परिवार छत से वंचित रह जाएंगे?
अगर यही हालात बने रहे, तो बलिया के हज़ारों गरीब परिवार योजना के लाभ से वंचित रह सकते हैं। सरकार की मंशा और प्रशासन की निष्क्रियता के बीच पिसती जनता अब सवाल करने लगी है कि क्या प्रधानमंत्री आवास योजना सिर्फ आंकड़ों की बाज़ीगरी बनकर रह जाएगी?
आवश्यक है तत्काल सुधार
सरकार और प्रशासन को इस दिशा में तत्काल गंभीरता दिखानी होगी। सत्यापन कार्य की गति को तेज करना, कर्मचारियों की जवाबदेही तय करना और जनता से पारदर्शी संवाद स्थापित करना अनिवार्य है, ताकि ‘हर गरीब को पक्का मकान’ का सपना साकार हो सके।
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