महराजगंज(राष्ट्र की परम्परा)। हिन्दू धर्म में आस्था और परंपराओं का विशेष स्थान है, और इन्हीं परंपराओं की शुरुआत होती है सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाने वाली नाग पंचमी से। यह पर्व न केवल नाग देवता की पूजा का दिन है, बल्कि यही वह क्षण होता है जब साल भर चलने वाले धार्मिक और सांस्कृतिक त्योहारों की शृंखला की औपचारिक शुरुआत होती है।
नाग पंचमी के दिन श्रद्धालु घरों, मंदिरों और विशेष नाग देवता स्थलों पर दूध, अक्षत, कुश और चंदन से नाग देवता की पूजा करते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषकर महिलाएं इस दिन व्रत रखकर अपने परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, नाग पंचमी के बाद रक्षाबंधन, जन्माष्टमी,गणेश चतुर्थी, नवरात्रि, दशहरा, दीवाली और छठ जैसे प्रमुख त्योहार क्रमशः आते हैं, जो सामाजिक एकता, पारिवारिक भावना और धर्म के प्रति आस्था को मजबूती प्रदान करते हैं।
स्थानीय मंदिरों और गांवों में इस दिन विशेष पूजा-अर्चना और झांकियों का आयोजन होता है, जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु एकत्र होकर धार्मिक वातावरण में सम्मिलित होते हैं। विशेषकर बालक-बालिकाएं इस पर्व को उत्साह के साथ मनाते हैं।
संस्कृति से जुड़ाव का प्रतीक नागपंचमी न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह हमें प्रकृति, जीव- जंतुओं और पर्यावरण के साथ संतुलन बनाए रखने की भी प्रेरणा देती है। नागों की पूजा कर हम यह संदेश देते हैं कि सभी प्राणी हमारे जीवन का हिस्सा हैं और उनका संरक्षण आवश्यक है।
इस प्रकार नाग पंचमी से आरंभ होकर एक लयबद्ध धार्मिक यात्रा प्रारंभ होती है, जो पूरे वर्ष भर भारतीय जनमानस को उत्सवधर्मिता से जोड़ती है।
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