December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी- प्रो. पूनम सिंह

देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
जब हम स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं तो हमारा आशय,भारत को पुनः स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने से होता है।प्राचीन भारत स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत था।बीच में हज़ारों वर्ष की दासता और विदेशी शासकों की कुत्सित चालो के फलस्वरूप परनिर्भर हुए और आत्मविश्वास खो बैठे।फलतः परिणाम यह हुआ कि हज़ारों वर्ष तक भारत ,भारत के लिए लड़ता रहा।उपरोक्त बातें प्रो पूनम सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने स्वावलंबी भारत एवं युवाओं की भूमिका विषय पर बोलते हुए कही।आपने बताया कि प्राचीन भारत एक समृद्ध एवं स्वावलंबी राष्ट्र था ।17 वी शताब्दी में विश्व की जी डी पी में भारत का योगदान 34% के लगभग था।जो तत्कालीन विश्व के किसी भी राष्ट्र की तुलना में सर्वाधिक था।हमारे यहाँ कृषि,उद्योग व व्यापार उन्नत अवस्था में था।यहाँ से मसाले और कपड़े पूरे विश्व में निर्यात किये जाते थे।पूरी दुनिया में भारत से व्यापार करने की होड़ थी।यहाँ के सामानों की पूरे विश्व में माँग थी। हमें भारत के उस गौरवशाली अतीत को पुनः लौटाना है।हमें आत्मनिर्भर और सशक्त भारत के निर्माण के लक्ष्य की प्राप्ति हेतु प्रत्येक युवा को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाना होगा।हमें प्राचीन भारत की उस अवधारणा को साकार करना होगा जहाँ हर हाथ के लिए काम था और हर कार्य के लिए नियत व्यक्ति था।हमारे यहाँ लोहे का कार्य करने वाला लुहार था,चमड़े का कार्य करने वाला चर्मकार था,सोने का कार्य करने वाला सुनार था,मिट्टी का कार्य करने वाला कुम्हार और लकड़ी का कार्य करने वाला बढई भी था।इस तरह से प्रत्येक गाँव स्वावलंबीऔर आत्मनिर्भर था।
प्रो पूनम सिंह ने कहाकि पुनः स्वावलंबी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।इस हेतु युवाओं को अपनी सोच बदलनी होगी।हमारे युवा सिर्फ नौकरी मांगने वाले न बनें अपितु रोजगार देने वाले भी बने हमें इस दिशा में सोचने और कार्य करने की जरूरत है।देश तीव्र गति से आगे बढ़ रहा है।विश्व तेज़ी से बदल रहा है।हमें तीव्र गति से विकास हेतु अपने दृष्टिकोण में बदलाव लाना होगा।आज युवाओं को नौकरी के साथ साथ रोजगार सृजन के अवसर भी तलासने होंगे। आप युवा कृषि उत्पादों पर आधारित खाद्य प्रसंस्करण उद्योग,मत्स्य पालन, डेयरी उत्पाद, स्टार्ट अप उद्योग,सौर ऊर्जा उद्योग आदि का व्यवसाय कम खर्चे व सामान्य प्रशिक्षण से शुरू कर सकते हैं और अच्छी आय सुनिश्चित कर सकते हैं।आप सभी युवा पवन ऊर्जा उद्योग,खिलौना उद्योग,मिट्टी के सामान, ऑनलाइन गेम, सॉफ्टवेर डेवलेपमेंट आदि के स्टार्टअप उद्योग लगा सकते हैं।आज भारत रक्षा क्षेत्र,साफ्टवेयर उद्योग, खाद्यान, डेयरी,वैक्सीन, दवा, चिकित्सा आदि में न सिर्फ आत्मनिर्भर है बल्कि विश्व को निर्यात भी कर रहा हैं।आप तीव्र गति से विकास कर रहे देश को अपनी ऊर्जा,शक्ति और ज्ञान से तीव्र गति प्रदान कर सकते है।
आपने बताया कि हमें यूरोप और किसी अन्य देश की तरह बनने की जरूरत नहीं हैं।हमे सिर्फ भारत बनना है।अगर हम अपना पुराना गौरव हासिल कर सके तो विश्व को एक नई दृष्टि और दिशा दे सकते हैं।हमनें कोरोना प्रबंधन और गरीब राष्ट्रों को फ्री वैक्सीनशन की पूर्ति करके अपनी क्षमता और कौशल को दिखाया है।आप युवा भारत के भविष्य है।भविष्य का भारत कैसा होगा यह हमारे युवा तय करेंगे।यह तभी संभव है जब हमारा युवा दृष्टि सम्पन्न होगा,स्वावलंबी होगा,आत्मनिर्भर बनने के लिए मेहनत करेगा तभी वह राष्ट्र और विश्व को एक नई दिशा दे सकता है।