महराजगंज में NH-730 से जुड़ी दरौली-पनियरा सड़क बनी लोगों के लिए मुसीबत
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। जनपद में एनएच-730 से जुड़ी दरौली से पनियरा को जाने वाली प्रमुख सड़कें बदहाली की चरम सीमा पर पहुंच चुकी हैं। कभी क्षेत्रीय विकास की रीढ़ मानी जाने वाली ये सड़कें अब आमजन के लिए परेशानी और खतरे का सबब बन गई हैं। जगह-जगह गहरे गड्ढे, उखड़ी गिट्टियां, टूटे किनारे और धंसी पटरियां राहगीरों की रफ्तार रोक रही हैं। हालात इतने खराब हैं कि पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है।
बरसात के मौसम में स्थिति और भयावह हो जाती है। गड्ढों में भरा पानी सड़क को तालाब में तब्दील कर देता है, जिससे वाहन चालकों को यह समझना मुश्किल हो जाता है कि सड़क कहां है और गड्ढा कहां। आए दिन दोपहिया वाहन चालक गिरकर घायल हो रहे हैं, जबकि चारपहिया वाहन गड्ढों में फंसकर जाम की स्थिति पैदा कर देते हैं। कई बार लोग घंटों तक जाम में फंसे रहते हैं, जिससे समय और ईंधन दोनों की भारी बर्बादी हो रही है।
खराब सड़कों का सबसे अधिक असर स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, महिलाओं और मरीजों पर पड़ रहा है। बच्चों को स्कूल पहुंचने के लिए रोज खतरा उठाना पड़ता है। बुजुर्गों के लिए हिचकोले खाते वाहनों में सफर करना पीड़ादायक हो गया है। गर्भवती महिलाओं और गंभीर मरीजों को अस्पताल पहुंचाना भी बड़ी चुनौती बन गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि आपात स्थिति में यदि एंबुलेंस फंस जाए तो जान बचाना भी मुश्किल हो सकता है।
स्थानीय नागरिकों ने आरोप लगाया है कि सड़क मरम्मत के नाम पर वर्षों से केवल औपचारिकता निभाई जा रही है। कभी गड्ढों में मिट्टी भर दी जाती है तो कभी अस्थायी पैच वर्क कर दिया जाता है, जो कुछ ही दिनों में उखड़ जाता है। सड़क निर्माण की गुणवत्ता की न तो जांच होती है और न ही टिकाऊ समाधान पर ध्यान दिया जाता है, जिससे हर साल वही समस्या दोहराई जाती है।
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सड़कों की बदहाली का सीधा असर क्षेत्र के व्यापार और कृषि पर भी पड़ रहा है। दुकानदारों के अनुसार खराब रास्तों के कारण ग्राहक आने से कतराने लगे हैं। बाहरी लोग सड़क की हालत देखकर वापस लौट जाते हैं, जिससे व्यापार प्रभावित हो रहा है। वहीं किसानों को भी अपनी उपज बाजार तक पहुंचाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
स्थानीय नागरिकों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से मांग की है कि सड़कों की स्थिति का तत्काल स्थलीय निरीक्षण कराकर गुणवत्ता-युक्त और स्थायी सड़क निर्माण कराया जाए। लोगों का कहना है कि केवल पैच वर्क से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि पूरी सड़क का पुनर्निर्माण आवश्यक है। चेतावनी दी गई है कि यदि जल्द ठोस कदम नहीं उठाए गए तो जनता आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होगी।
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अब बड़ा सवाल यह है कि क्या जिम्मेदार अधिकारी जनता की पीड़ा को समझते हुए विकास के दावों को धरातल पर उतारेंगे, या फिर सड़कों की यह बदहाली भी अन्य समस्याओं की तरह फाइलों में दबी रह जाएगी।
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