रेलवे प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता से परेशान आमजन
(पवन पाण्डेय की कलम से)
बरहज/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)। अंग्रेजों के जमाने में बना बरहज रेलवे स्टेशन आज खस्ताहाल स्थिति में आ चुका है। जहां एक ओर स्टेशन की इमारत खुद बदहाली का शिकार है, वहीं स्टेशन तक पहुंचने वाली सड़क भी लंबे समय से जलजमाव और गड्ढों की मार झेल रही है। बारिश के दिनों में तो यह सड़क किसी दलदल में तब्दील हो जाती है, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है।
बरहज रेलवे स्टेशन की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर चारों ओर जलभराव की स्थिति बनी हुई है। सड़क पर जगह-जगह बने गहरे गड्ढों में पानी भरा होने से आए दिन राहगीर और बाइक सवार फिसलकर गिर जाते हैं। छात्रों, बैंक ग्राहकों, बाजार जाने वाले नागरिकों और सरयू घाट पर स्नान के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं को इस जलजमाव वाली सड़क से होकर गुजरना पड़ता है।
स्थानीय निवासी बताते हैं कि यह समस्या कोई नई नहीं है। वर्षों से यह सड़क इसी हालत में है, लेकिन न तो रेलवे प्रशासन ने स्टेशन की स्थिति सुधारने की पहल की है और न ही इस मार्ग की मरम्मत को लेकर कोई ठोस कार्यवाही की गई है। यह लापरवाही नागरिकों के लिए रोज की मुसीबत बन चुकी है।
स्थानीय लोगों का फूटा आक्रोश
रेलवे स्टेशन और सड़क की बदहाली को लेकर अब स्थानीय नागरिकों में आक्रोश पनप रहा है। क्षेत्रीय सामाजिक कार्यकर्ताओं और नेताओं ने रेलवे प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। इस संबंध में श्रीप्रकाश पाल, शम्भू कुशवाहा, रामध्यान प्रधान, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के जिला सचिव अरविंद कुशवाहा, खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव विनोद सिंह, राजेन्द्र पाल, आजाद अंसारी, और शिवसेना कार्यकर्ता कैलाश शर्मा सहित कई लोगों ने एक स्वर में कहा कि यदि जल्द ही सड़क और रेलवे स्टेशन की स्थिति नहीं सुधारी गई, तो जन आंदोलन किया जाएगा।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर सवाल
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि बार-बार समस्या उठाए जाने के बावजूद कोई जनप्रतिनिधि इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है। ऐसा प्रतीत होता है कि आम जनता को समस्याओं से जूझते रहने की आदत पड़ चुकी है, इसलिए उनकी समस्याएं अब किसी की प्राथमिकता में नहीं रहीं।
मांगें और अपेक्षाएं
जनता की मांग है कि रेलवे स्टेशन की मरम्मत के साथ-साथ उससे जुड़ी सड़क का तत्काल निर्माण/मरम्मत कार्य कराया जाए। साथ ही जल निकासी की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए, जिससे बरसात के समय सड़क पर जलभराव न हो और आमजन को सुरक्षित आवागमन मिल सके।
निष्कर्ष
बरहज रेलवे स्टेशन और उससे जुड़ी सड़क की यह दशा न केवल प्रशासन की निष्क्रियता को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि जनता की मूलभूत सुविधाओं के लिए अभी भी संघर्ष जारी है। यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो इससे जनता का आक्रोश आंदोलन में बदल सकता है।
बरेली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। ऑनलाइन मैट्रीमोनियल वेबसाइट के जरिये हुई एक शादी कुछ ही…
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। सोशल मीडिया दिग्गज Meta (Facebook) ने तीन साल बाद…
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया (SCI) ने जूनियर कोर्ट असिस्टेंट…
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर ऊँचा आयात शुल्क (टैरिफ)…
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। भारत के मौसम विभाग (IMD) के अनुसार, देश के…
भाटपाररानी/देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)।स्थानीय थाना क्षेत्र के सुकवा गांव में बुधवार शाम एक दर्दनाक हादसे…