बीज मसौदा विधेयक 2025 भारतीय कृषि को देने जा रहा मजबूत सुरक्षा कवच
बीज मसौदा विधेयक,2025- भारतीय कृषि में गुणवत्ता, अधिकार और पारदर्शिता का नया युग
यह विधेयक अवैध बीज बिक्री, फर्जी ब्रांडिंग और अनधिकृत जेनेटिक वैरायटी जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड ,व कोई भी कंपनी बिना पंजीकरण के मार्केट में बीज नहीं बेच सकती- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
गोंदिया – भारत एक कृषि प्रधान देश है,जहाँ कृषि न केवल आजीविका का साधन है, बल्कि सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक जीवन की आधारशिला भी है। इस विशाल कृषि व्यवस्था की आत्मा “बीज” है, क्योंकि बीज ही वह पहला तत्व है जिससे उत्पादन, नवाचार और खाद्य सुरक्षा की पूरी श्रृंखला आरंभ होती है। इसी बीज क्षेत्र में सुधार और पारदर्शिता लाने की दिशा में सरकार ने वर्ष 2025 में बीज मसौदा विधेयक, 2025 का प्रस्ताव तैयार किया है और इस पर 11 दिसंबर, 2025 तक नागरिकों, किसानों, वैज्ञानिकों, बीज उत्पादकों और अन्य हितधारकों से सुझाव आमंत्रित किए हैं। यह मसौदा विधेयक न केवल कृषि सुधारों के अगले चरण का संकेत है, बल्कि यह देश में क्वालिटी सीड गवर्नेंस का एक नया ढांचा भी प्रस्तुत करता है।मैं एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र यह मानता हूं क़ि भारत ने वर्ष 2025 में बीज मसौदा विधेयक, 2025 का प्रारूप जारी कर एक ऐसा विधायी प्रयास शुरू किया है, जो न केवल देश के कृषि तंत्र को आधुनिकता, पारदर्शिता और गुणवत्ता के उच्चतम मानकों से जोड़ता है, बल्कि बीजों की सुरक्षा, किसानों के अधिकारों और कृषि-व्यवसाय के नैतिक ढाँचे को भी नई दिशा प्रदान करता है। यह विधेयक 1966 के बीज अधिनियम और 1983 के बीज नियंत्रण आदेश का स्थान लेने जा रहा है, जो कि आज की तकनीक- संचालित कृषि आवश्यकताओं के सामने अपर्याप्त हो चुके हैं। बदलते जलवायु-परिस्थितियों, बीजों में जैव- प्रौद्योगिकी के बढ़ते हस्तक्षेप और वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धा के दबाव ने इस नए विधेयक की आवश्यकता को और अधिक सशक्त बनाया है। यह प्रस्ताव इस बात का प्रमाण है कि भारत कृषि क्षेत्र को विश्वस्तरीय बनाने और किसान-हित को सर्वोच्च प्राथमिकता देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
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साथियों बात अगर हम आज भारत वैश्विक बीज बाजार में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन चुका है,व अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य इसको समझने की करें तो, देश के बीज निर्यात का मूल्य अरबों डॉलर तक पहुँच चुका है, और निजी क्षेत्र,विशेष रूप से बहुराष्ट्रीय बीज कंपनियाँ, इस उद्योग में बड़ी भूमिका निभा रही हैं। बीज मसौदा विधेयक, 2025 व्यापार सुगमता (ईज़ ऑफ़ डूइंग बिज़नेस) के सिद्धांत पर आधारित है।यह बीज पंजीकरण लाइसेंसिंग,परीक्षण और वितरण की प्रक्रियाओं को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लाने की बात करता है। इससे छोटे उद्यमियों, स्टार्टअप्स और स्थानीय बीज उत्पादकों को भी समान अवसर मिलेगा।इसके साथ ही, यह विधेयक अवैध बीज बिक्री, फर्जी ब्रांडिंग और अनधिकृत जेनेटिक वैरायटी जैसे अपराधों के लिए कठोर दंड का प्रावधान भी करता है,जिससे बीज उद्योग में पारदर्शिता और उपभोक्ता विश्वास दोनों को बल मिलेगा।अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य-वैश्विक मानकों के अनुरूप भारतीय ढांचा,विश्व स्तर पर बीज व्यापार और नियमन यूपीओवी (इंटरनेशनल यूनियन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ़ न्यू वैरायटीज ऑफ़ प्लांट्स) आईएसटीए ( इंटरनेशनल सीड टेस्टिंग एसोसिएशन) और ओईसीडी (ओईसीडी सीड स्कीमस) जैसे अंतरराष्ट्रीय मानकों के तहत चलता है। भारत का नया बीज मसौदा विधेयक इन अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप नीति ढांचा तैयार करने का प्रयास करता है ताकि भारतीय बीज उद्योग को ग्लोबल ट्रेड नेटवर्क में और गहराई से एकीकृत किया जा सके। इससे भारत न केवल घरेलू आवश्यकताओं को पूरा कर सकेगा, बल्कि अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका के उभरते कृषि बाजारों में बीज आपूर्ति का एक स्थिर और विश्वसनीय स्रोत भी बन सकता है।
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साथियों बात अगर हम,किसानों के अधिकारों की रक्षा कोसमझने की करें तो,केंद्र में किसान, केवल उपभोक्ता नहीं-भारत की कृषि नीति में लंबे समय तक किसान को केवल “उपभोक्ता” के रूप में देखा गया,जिसे बीज खरीदना होता है। लेकिन बीज मसौदा विधेयक, 2025 इस धारणा को बदलता है। यह किसान को हितधारक के रूप में मान्यता देता है, जिसके अधिकार, ज्ञान और सहभागिता को कानूनी ढांचे में स्थान दिया गया है।विधेयक में यह सुनिश्चित करने की दिशा में प्रावधान हैं कि यदि किसान को किसी बीज से अपेक्षित परिणाम नहीं मिलता है, तो वह बीज आपूर्तिकर्ता या निर्माता के खिलाफ कंपनसेशन क्लेम कर सकता है। यह प्रावधान कंज्यूमर प्रोटेक्शन के सिद्धांत को कृषि क्षेत्र में लागू करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।साथ ही,मसौदा किसानों को पारंपरिक बीज बचाने, पुनः प्रयोग करने और आदान-प्रदान करने के अधिकार से वंचित नहीं करता, यह भारत के विविध कृषि पारिस्थितिकी और स्वदेशी बीज संरक्षण परंपरा की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।बीज गुणवत्ता नियंत्रण,विज्ञान और जवाबदेही का संगम-बीज मसौदा विधेयक 2025 में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सभी बीज उत्पादक, वितरक और विक्रेता को सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त प्रमाणन एजेंसी से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक होगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि बाजार में बिकने वाले बीज स्टैंडर्डाइज्ड हों और उनमें फसल की न्यूनतम अंकुरण दर तथा शुद्धता का स्तर निर्धारित सीमा से कम न हो।इस विधेयक के अंतर्गत नेशनल सीड अथॉरिटी तथा स्टेट सीड सर्टिफिकेशन बोर्ड्स की भूमिका को और मजबूत बनाया गया है। वे न केवल बीज परीक्षण, पंजीकरण और प्रमाणन की जिम्मेदारी निभाएंगे, बल्कि बीज उत्पादकों की जवाबदेही तय करने के लिए एक शिकायत निवारण तंत्र भी तैयार करेंगे।
साथियों बात अगर हम बीज नियमन को आधुनिक बनाने की आवश्यकता को समझने की करें तो,1966 का बीज अधिनियम उस समय बनाया गया था जब भारत खाद्यान्न संकट से जूझ रहा था और हरित क्रांति की शुरुआत ही हुई थी। उस दौर की कृषि तकनीक न तो आज की तरह उन्नत थी, न ही निजी बीज कंपनियों की व्यापकता इतनी बड़ी थी। लेकिन 2025 में पहुंचते- पहुंचते परिस्थितियाँ बिल्कुल बदल चुकी हैं,देश में 300 से अधिक पंजीकृत बीज कंपनियाँ हैं, जैव-संशोधित किस्मों,हाईब्रिड वैरायटी, ड्रोन- आधारित बीज परीक्षण, और स्मार्ट फसल निगरानी जैसी तकनीकें मुख्यधारा में शामिल हो चुकी हैं। पुराना कानून गुणवत्ता परीक्षण,मानकीकरण,पारदर्शिता किसानों के अधिकारों और विपणन नियंत्रण के आधुनिक मानदंडों को पूरा नहीं कर पा रहा था।इन्हीं आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार ने बीज मसौदा विधेयक, 2025 को तैयार किया है, जो बीज नियमन को समय-सापेक्ष, वैज्ञानिक और अंतरराष्ट्रीय दिशानिर्देशों के अनुरूप बनाता है। यह विधेयक अंतरराष्ट्रीय बीज परीक्षण संघ,ओईसीडी सीड्स स्टैंडर्ड्स और एफएओ के वैश्विक कृषि सुरक्षा मानकों से भी सामंजस्य स्थापित करता है।
साथियों बात अगर हम बीज मसौदा विधेयक, 2025 के मुख्य उद्देश्यों व किसानों के लिए विशेष प्रावधानों को समझने की करें तो,इस विधेयक के उद्देश्य बहुआयामी हैं, जिनमें उपभोक्ता सुरक्षा, किसान संरक्षण,वैज्ञानिक गुणवत्ता नियंत्रण,कृषिअनुसंधान को बढ़ावा और कृषि बाज़ार में निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा शामिल है। प्रमुख उद्देश्यों में,(1)किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज उपलब्ध कराना(2)बीज बाजार में नकली, मिलावटी और निम्न-स्तरीय बीजों पर नियंत्रण(3)किसानों के अधिकारों और उनके मुआवज़े की गारंटी(4)बीज उत्पादकों, वितरकों और कंपनियों का अनिवार्य पंजीकरण (5) अनुसंधान व नवाचार को प्रोत्साहन(6)बीजों में जैव- सुरक्षा और जैव-विविधता की रक्षा,इन सभी उद्देश्यों का मूल यह है कि भारत की कृषि प्रणाली को भविष्य-उन्मुख और जोखिम-रहित बनाया जा सके, जिससे किसानों की आय और उत्पादन दोनों में स्थिरता आए।किसानों के लिए विशेष प्रावधान -संरक्षण,अधिकार और
मुआवज़ा इस विधेयक का सबसे महत्वपूर्ण और प्रगतिशील पहलू किसानों के अधिकारों को मजबूत बनाना है। कृषि क्षेत्र में वर्षों से यह शिकायत थी कि बीज कंपनियों के दावे के मुताबिक उत्पादन नहीं मिलने पर किसानों को कोई मुआवज़ा नहीं मिलता।बीज मसौदा विधेयक 2025 में-(1)यदि बीज की गुणवत्ता में कमी पाई जाती है,(2)यदि बीज परीक्षण के मानक पूरे नहीं होते,(3)या यदि कंपनी द्वारा विज्ञापित उत्पादन प्राप्त नहीं होता,तो किसान मुआवज़ा पाने का पात्र होगा। इसके लिए जिला स्तर पर बीज मुआवज़ा समिति स्थापित करने का प्रावधान किया गया है।साथ ही किसानों को अपना बीज बचाने, उपयोग करने, अदल- बदल करने और बेचने का पूरा अधिकार होगा, बशर्ते वे ब्रांडिंग या पैकेजिंग के साथ कारोबार न करें। यह प्रावधान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसानों के अधिकारों की रक्षा करने वाले एफएओ के किसान अधिकार चार्टर और भारत के अपने पीपीवीएफआर एक्ट के अनुरूप है।बीज मसौदा विधेयक 2025 की चुनौतियाँ- हालाँकि विधेयक प्रगतिशील है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ होंगी,छोटे किसानों में जागरूकता की कमी,ग्रामीण क्षेत्रों में परीक्षण लैब की कमी, पंजीकरण प्रक्रिया का भार छोटे बीज उत्पादकों पर पड़ना, व्यावहारिक रूप से मुआवज़े की प्रक्रिया को सरल बनाना,फिर भी सरकार डिजिटल प्लेटफॉर्म, कृषि विस्तार सेवाओं और राज्य सरकारों के तालमेल से इन चुनौतियों को हल करने का प्रयास कर रही है।
साथियों बात अगर हम बीजों का अनिवार्य पंजीकरण और गुणवत्ता परीक्षण को समझने की करें तो,विधेयक बीज कंपनियों और उत्पादकों के लिए कड़े नियम निर्धारित करता है। अब कोई भी कंपनी बिना पंजीकरण के बीज मार्केट में नहीं बेच सकती।मुख्य नियम इस प्रकार हैं (1) सभी बीजों का अनिवार्य पंजीकरण(2)पंजीकरण से पहले फील्ड परीक्षण, उपज सत्यापन, और गुणवत्ता जांच(3) बीज उत्पादन और वितरण का रिकॉर्ड रखना(4)लैब परीक्षण में पारदर्शिता,यह वैश्विक मानकों की दिशा में एक बड़ा कदम है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे क़ि कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाता भविष्यवादी विधेयक,बीज मसौदा विधेयक, 2025 भारत को आधुनिक कृषि शासन के एक नए युग में प्रवेश कराता है। यह न केवल किसानों को गुणवत्ता, सुरक्षा और मुआवज़े का अधिकार देता है, बल्कि बीज व्यापार को पारदर्शी बनाकर भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करता है। आधुनिक विज्ञान, डिजिटल निगरानी, जैव-सुरक्षा, अनुसंधान और मजबूत नियमन का यह संतुलित मेल भारतीय कृषि को स्थिरता, उत्पादकता और आत्मनिर्भरता के पथ पर आगे बढ़ाता है।इस विधेयक के सफल कार्यान्वयन से भारत न केवल विश्व स्तरीय बीज अर्थव्यवस्था का केंद्र बनेगा, बल्कि किसानों की आय, उत्पादन और विश्वास—इन तीनों मोर्चों पर ऐतिहासिक मजबूती प्राप्त करेगा।
-संकलनकर्ता लेखक – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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