लाल बलुआ पत्थर से होगा मंदिर का निर्माण, स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण बनेगा परिसर

सीतामढ़ी,(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) मिथिला की धरती पर आस्था और संस्कृति के प्रतीक के रूप में उभरने जा रहे माता जानकी मंदिर के निर्माण की नींव 8 अगस्त को पुनौराधाम में रखी जाएगी। यह स्थान माता सीता की जन्मस्थली के रूप में मान्यता प्राप्त है, और अब यहां भव्य मंदिर का निर्माण धार्मिक पर्यटन को भी नया आयाम देगा।
मंदिर निर्माण में उपयोग होने वाला रेड सैंडस्टोन (लाल बलुआ पत्थर) इसे और भी खास बना रहा है। यह वही पत्थर है जिसका उपयोग देश के कई ऐतिहासिक स्मारकों — जैसे लाल किला और कुतुब मीनार — में भी किया गया है। इसकी चमकदार सतह, महीन बनावट और अत्यधिक मजबूती इसे मंदिर निर्माण के लिए उपयुक्त बनाते हैं।
नए मंदिर की संरचना भारतीय शिल्पकला की परंपरा को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। मंदिर की स्थापत्य शैली पूरी तरह पारंपरिक होगी, जिसमें intricate नक्काशी और विस्तृत स्तंभ शामिल होंगे। जानकी नवमी और राम नवमी जैसे पर्वों पर यह स्थल धार्मिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र बनेगा।
पुनौराधाम को पहले से ही एक पवित्र तीर्थ स्थल के रूप में माना जाता है, लेकिन अब भव्य जानकी मंदिर बनने से यह राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बन सकता है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद स्थानीय रोजगार और पर्यटन में भी अच्छी वृद्धि की संभावना है।
इस निर्माण परियोजना को लेकर स्थानीय प्रशासन पूरी तरह सक्रिय है। भूमि पूजन और आधारशिला कार्यक्रम में राज्य और केंद्र सरकार के कई प्रतिनिधि, संत-धर्माचार्य और हजारों श्रद्धालु शामिल होंगे। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने भी इस कार्य में सहयोग का आश्वासन दिया है।
माता सीता की जन्मभूमि पर इस भव्य मंदिर की आधारशिला केवल एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि मिथिला की सांस्कृतिक विरासत और धार्मिक चेतना का नवोदय है। आने वाले वर्षों में यह मंदिर आस्था, गौरव और विकास का प्रतीक बनेगा।
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