गोरखपुर में मरीजों से मनमानी फीस वसूली!
रसीद नहीं देने वाले डॉक्टरों पर उठे सवाल
गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)।एक ओर डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है, वहीं दूसरी ओर गोरखपुर और आसपास के जिलों में कई निजी डॉक्टर इस पेशे की गरिमा को दागदार कर रहे हैं। मरीजों से 500 से 1500 रुपये तक की परामर्श फीस वसूली जा रही है, लेकिन रसीद देने से इनकार कर दिया जाता है। इससे न सिर्फ मरीजों का आर्थिक शोषण हो रहा है, बल्कि इनकम टैक्स चोरी भी की जा रही है।
जांच में खुलासा हुआ है कि कई निजी क्लीनिक बिना रजिस्ट्रेशन और बिना वैध रसीद बुक के संचालित हो रहे हैं। मरीजों से नकद वसूली के बाद डॉक्टर या उनके स्टाफ का जवाब होता है — “रसीद नहीं दी जाती।” सवाल यह है कि जब आय का हिसाब नहीं रखा जा रहा, तो सरकार को टैक्स कौन देगा?
शहर में कई नामी डॉक्टर 1000 से 1500 रुपये तक परामर्श शुल्क ले रहे हैं, जबकि छोटे क्लीनिकों में भी 500 रुपये से कम फीस नहीं है। स्वास्थ्य विभाग और आयकर विभाग की इस पर कोई निगरानी नहीं दिखती।
एक स्थानीय मरीज ने बताया – “मैं अपनी पत्नी को दिखाने गया था। डॉक्टर ने 800 रुपये मांगे, लेकिन जब रसीद मांगी तो कहा — ‘रसीद नहीं दी जाती’। ऐसे में शिकायत भी नहीं कर सकते।”
आम जनता का कहना है कि जब छोटे व्यापारी और दुकानदार जीएसटी और टैक्स देते हैं, तो डॉक्टरों को छूट क्यों? नकद वसूली और रसीद न देना सीधे-सीधे आयकर कानून का उल्लंघन है।
लोगों की मांग है कि सरकार ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ संयुक्त जांच टीम बनाए और निजी क्लीनिकों का ऑडिट कराए। टैक्स चोरी में लिप्त पाए जाने वालों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
अब सवाल उठता है — क्या “सफेद कोट” की आड़ में टैक्स चोरी और मनमानी फीस की खुली छूट है? समाज को सेवा देने वाला यह पेशा अब व्यापार में तो नहीं बदल गया?
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