July 8, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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महावीर बलभद्र सिंह की शौर्य गाथा सिर्फ भारत में ही नही बल्कि विश्व विख्यात है

वीर बलभद्र सिंह का सर कट जाने के बाद भी कई घंटो तक अंग्रेज़ी सेना से युद्ध करते रहे

बहराइच (राष्ट्र की परम्परा) । अट्ठारह वर्षीय आज़ादी के दीवानें अमर शहीद चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह रैकवार का 165 वा बलिदान दिवस पर अखिल भारतीय गौरवशाली क्षत्रिय महासभा फाउंडेशन के प्रदेश महासचिव विनय कुमार सिंह उर्फ गुड्डू कलहंस के संयोजकत्व में ,आओ बलिदानों से सीखें पर आधारित प्रेरणा, संकल्प गोष्ठी उनके निजि निवास पर नागेन्द्र सिंह कुशवाहा मण्डलीय अध्यक्ष देवीपाटन मंडल के अध्यक्षता में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं संगठन प्रभारी उत्तर प्रदेश विनय सिंह मुख्य रूप से शामिल हुए। गोष्ठी की शुरुआत चहलारी नरेश महाराजा बलभद्र सिंह रैकवार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए सामूहिक शैल्यूट देकर किया गया। उक्त अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनय सिंह ने कहा कि चहलारी नरेश महावीर बलभद्र सिंह की शौर्य गाथा सिर्फ भारत में ही नही बल्कि विश्व विख्यात है। चहलारी नरेश का बलिदान देश व समाज के लिए प्रेरणाश्रोत है। उन्होंने वर्तमान सांसद कैसरगंज से महाराजा बलभद्र सिंह रैकवार महाविद्यालय परिसर बनकटा पयागपुर में चहलारी नरेश बलभद्र सिंह रैकवार की मूर्ति लगाने व उनके नाम से उद्यान बनाने की पुरज़ोर अपील की ताकि क्षेत्रीय शिक्षार्थी व जनमानस उनकी स्मृति दिवस पर श्रद्धा सुमन अर्पित कर सके एवं उनके जीवन दर्शन तथा ब्यक्तित्व व कृतित्व से भावी पीढ़ी में भी राष्ट्रीय सोंच व सामाजिक सोंच विकसित होती रहे। प्रदेश महासचिव विनय कुमार सिंह गुड्डू कलहंस ने कहा कि रण कौशल से ब्रिटिश साम्राज्य के छक्के छूट गए थे। मण्डलीय अध्यक्ष ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि बहादुरी के मिशाल भारतीय (अवध)सेनापति चहलारी नरेश बलभद्र सिंह रैकवार 13जून 1858 में शहीद हो जाने के बाद भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने नेपालगंज में शरण ली थी, उन्होंने कहा कि चहलारी नरेश वीर बलभद्र सिंह सर कट जाने के बाद भी कई घंटो तक अंग्रेजी सेना से युद्ध करते रहे। यह एक अनोखी तथा आश्चर्यजनक दृश्य था। गोष्ठी को पूर्व प्रधान विपिन शाही, रामचन्द्र सिंह राज कुमार सिंह एडवोकेट दुख हरण सिंह हुकुम सिंह अमरजीत सिंह सहित कई लोग उपस्थित रहे।