इतिहास की स्मृतियों में अमर: 1 दिसंबर को दुनिया को अलविदा कहने वाली महान विभूतियाँ
1 दिसंबर को दुनिया और भारत ने कई महान हस्तियों को खोया। इन व्यक्तित्वों ने अपने-अपने क्षेत्र में ऐसा योगदान दिया, जो आज भी समाज और राष्ट्र के मानस-पटल पर गहरी छाप छोड़ता है। आइए जानते हैं उनके जीवन और योगदान के बारे में संक्षेप में:
आदर्श सेन आनंद (2017) – भारत के 29वें मुख्य न्यायाधीश
आदर्श सेन आनंद भारतीय न्यायपालिका के एक प्रखर स्तंभ रहे। उनका जन्म-स्थान और प्रारंभिक शिक्षा का विवरण सार्वजनिक स्तर पर सीमित है, परंतु उन्होंने न्याय व्यवस्था में पारदर्शिता और अनुशासन को प्राथमिकता दी। कानून के क्षेत्र में उनका योगदान न्यायिक इतिहास में मील का पत्थर माना जाता है।
जिम लोसकटऑफ (2015) – अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी
जिम लोसकटऑफ एक प्रसिद्ध अमेरिकी बास्केटबॉल खिलाड़ी थे, जिन्होंने खेल जगत में नई ऊर्जा और प्रतिस्पर्धा का संचार किया। उनके जीवन के प्रारंभिक वर्ष, गांव या शहर की जानकारी सीमित है, परंतु उन्होंने युवाओं को खेल के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी।
ये भी पढ़ें – आज राहु किसे देगा लाभ, किसे करेगा सावधान
एस. के. सिंह (2009) – अरुणाचल प्रदेश व राजस्थान के राज्यपाल
एस. के. सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश और राजस्थान जैसे दो बड़े राज्यों के राज्यपाल पद पर रहकर संविधानिक मर्यादाओं की रक्षा की। उनके नेतृत्व में प्रशासनिक संतुलन और विकास को नया आयाम मिला।
शान्तिदेव घोष (1999) – बहुआयामी कलाकार व रवीन्द्र संगीत के उस्ताद
शान्तिदेव घोष साहित्य, संगीत, नृत्य और अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। वे रवीन्द्र संगीत के विद्वान माने जाते थे। उनका जीवन कला और साधना का उदाहरण रहा, जिसने बंगाल सहित पूरे भारत में सांस्कृतिक चेतना को मजबूत किया।
विजयलक्ष्मी पण्डित (1990) – स्वतंत्रता सेनानी व कूटनीतिज्ञ
विजयलक्ष्मी पण्डित, पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन थीं और भारत की पहली महिला विदेश मंत्री एवं संयुक्त राष्ट्र महासभा की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। उन्होंने शिक्षा, स्वतंत्रता और महिला सशक्तिकरण के लिए जीवन समर्पित किया। वे विश्व मंच पर भारत की सशक्त आवाज थीं।
दादा धर्माधिकारी (1985) – गांधीवादी चिंतक व लेखक
दादा धर्माधिकारी एक सच्चे गांधीवादी और राष्ट्रसेवक थे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और बाद में लेखन व विचारधारा के माध्यम से सामाजिक सुधारों की दिशा दिखाई। गांव-देहात में रहने वाले लोगों के लिए उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत बना।
के. हनुमंथैय्या (1980) – वरिष्ठ कांग्रेसी नेता
के. हनुमंथैय्या भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के प्रतिष्ठित नेता रहे। वे कर्नाटक के मुख्यमंत्री भी रहे और राज्य के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। शिक्षा, प्रशासन और जनसेवा के क्षेत्र में उनका नाम आज भी सम्मान से लिया जाता है।
सुचेता कृपलानी (1974) – भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री
सुचेता कृपलानी एक साहसी स्वतंत्रता सेनानी और स्वतंत्र भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं (उत्तर प्रदेश)। शिक्षा और राष्ट्र सेवा उनका प्रमुख क्षेत्र रहा। उन्होंने राजनीति में महिलाओं की भागीदारी को नई दिशा दी और आने वाली पीढ़ियों के लिए रास्ता खोला।
दिव्यांगता अभिशाप नहीं है यह एक ईश्वरी देन है,डीएम मऊ ( राष्ट्र की परम्परा )…
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)।उप नगर भिटौली में मंगलवार दोपहर लगभग 3 बजे बिजली के शॉर्ट…
वाराणसी(राष्ट्र की परम्परा)रेल प्रशासन द्वारा काशी में आयोजित काशी तमिल संगमम में आने वाले अतिथियों…
वाराणसी(राष्ट्र की परम्परा)मंडल रेल प्रबन्धक वाराणसी आशीष जैन के निर्देशन में एवं मंडल कीड़ा अधिकारी…
आधा दर्जन लोग हुए गिरफ्तार मऊ ( राष्ट्र की परम्परा )पुलिस अधीक्षक के निर्देशन में…
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)सहायक श्रम आयुक्त स्कन्द कुमार ने बताया कि प्रमुख सचिव, उत्तर प्रदेश…