✍️ कैलाश सिंह
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। तेजी से बदलते दौर में भारत अब तकनीक, तरक्की और बड़े सामाजिक– आर्थिक परिवर्तन के बीच एक महत्वपूर्ण मोड़ पर खड़ा है। डिजिटल क्रांति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, नई औद्योगिक सोच और आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर ने देश की विकास यात्रा को नई रफ्तार दी है। लेकिन इसी रफ्तार के साथ एक बड़ा सवाल भी उभर रहा है—देश किस दिशा में आगे बढ़ रहा है?
तकनीक ने आम जीवन से लेकर उद्योग जगत तक हर क्षेत्र को बदल दिया है। डिजिटल भुगतान से लेकर सरकारी सेवाओं तक सब कुछ मोबाइल की स्क्रीन पर सिमट चुका है। शिक्षा ऑनलाइन हो रही है, खेती में ड्रोन और सेंसर उपयोग हो रहे हैं, और कारोबार में एआई का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है।यह बदलाव देश को आधुनिक बनाने की दिशा में एक मजबूत कदम है, लेकिन इसके साथ कई नए सवाल भी सामने हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि तरक्की तभी सार्थक होती है, जब उसका लाभ हर वर्ग तक पहुंचे। तकनीक के बढ़ते प्रभाव से जहां शहरों का विकास तेज हुआ है, वहीं ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के बीच डिजिटल अंतर अब भी चिंता का विषय है। यह इंटरनेट की पहुंच, डिजिटल साक्षरता और तकनीकी संसाधनों की कमी कई जगहों पर विकास की रफ्तार को धीमा कर रही है। देश आर्थिक सुधारों और बड़े प्रोजेक्ट्स के साथ आगे बढ़ रहा है, लेकिन बेरोजगारी, महंगाई और कौशल- विकास की चुनौतियां अब भी बड़ी बाधा बनी हुई हैं। तकनीक के बढ़ते उपयोग से पारंपरिक नौकरियों पर खतरा भी बढ़ रहा है, जिससे युवाओं के सामने नए कौशल सीखने का दबाव बढ़ गया है।
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पर्यावरणीय संकट, ऊर्जा जरूरतें, शहरीकरण और सामाजिक संतुलन जैसे मुद्दे भी यह तय करेंगे कि देश का भविष्य किस दिशा में जाएगा।
सरकार नई योजनाएं और डिजिटल प्रोग्राम लॉन्च कर रही है, पर सवाल यह है कि क्या ये बदलाव सही दिशा में और सही गति से आगे बढ़ रहे हैं? आज की तरक्की भारत को नई ऊँचाइयो तक पहुंचाने की क्षमता रखती है, लेकिन भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि देश तकनीक, विकास और सामाजिक संतुलन के बीच कैसा तालमेल बनाता है।
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और इसी से बड़ा प्रश्न खड़ा होता है-—क्या तकनीक और तरक्की का यह दौर देश को उज्ज्वल भविष्य की ओर ले जा रहा है या नई चुनौतियों की ओर? किस दिशा में आगे बढ़ रहा है भारत—उम्मीदों की या जोखिमों की?
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