
देवरिया, (राष्ट्र की परम्परा)। परिषदीय विद्यालयों के विलय के फैसले के विरोध में बुधवार को जिले के प्राथमिक शिक्षकों ने बड़ा कदम उठाया। 50 से कम छात्र संख्या वाले विद्यालयों के विलय के सरकार के आदेश को लेकर नाराज़ शिक्षकों ने सदर विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी को ज्ञापन सौंपा। इस दौरान शिक्षकों ने चेतावनी दी कि यदि आदेश वापस नहीं लिया गया तो जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक आंदोलन किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने ज्ञापन में कहा कि विद्यालयों का इस प्रकार से एकीकरण करना निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009 के मूल प्रावधानों के खिलाफ है। अधिनियम में स्पष्ट है कि 6 से 14 वर्ष की आयु के बच्चों को निकटवर्ती विद्यालय में शिक्षा प्राप्त करना उनका मौलिक अधिकार है। विद्यालय दूर होने पर बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी और बच्चों के स्कूल छोड़ने की दर में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
शिक्षकों ने आशंका जताई कि इस कदम से गैर मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही सरकार की ‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’ और ‘सर्व शिक्षा अभियान’ जैसी योजनाएं भी प्रभावित होंगी। जिले के कई विद्यालयों में पहले से ही शिक्षकों की कमी, बुनियादी सुविधाओं का अभाव, और प्री-प्राइमरी शिक्षा की बदहाल स्थिति जैसी समस्याएं बनी हुई हैं। ऐसे में विद्यालयों का विलय बच्चों के शैक्षिक भविष्य के साथ अन्याय होगा।
पत्रक देने वालों में ये शिक्षक नेता रहे शामिल: बैतालपुर अध्यक्ष संजय कुमार मिश्रा, मंत्री एवं जनपदीय कोषाध्यक्ष जयप्रकाश मणि त्रिपाठी, गौरी बाजार अध्यक्ष संजय कुमार सिंह, मंत्री आलोक सिंह, देवरिया सदर अध्यक्ष नित्यानंद यादव, मंत्री एवं जिला संयुक्त मंत्री ऋषिकेश जायसवाल, नितेश कुमार श्रीवास्तव, नीरज कुमार श्रीवास्तव, जय प्रकाश आजाद, हरेंद्र पाल, अरुण यादव, अशोक चौरसिया, कीर्ति देव पांडे, विनय कुमार मिश्रा, अभिषेक गुप्ता, दिलीप गोंड, अश्वनी श्रीवास्तव, अमित श्रीवास्तव, कंचनलता देवी उत्तम सिंह
संघर्ष समिति के अध्यक्ष रामसिंगार यादव, मंत्री सत्य प्रकाश सिंह, बैजनाथ पति त्रिपाठी, संदीप कुमार द्विवेदी, रमेश प्रताप यादव, अरुण कुमार दूबे, अतहर अली, अशोक सिंह, सुधीर तिवारी, अनिल यादव, विपिन कुशवाहा, सूर्यकांत पांडे (संघर्ष समिति अध्यक्ष, बैतालपुर), मंत्री विशाल यादव आलोक सिंह आदि भी उपस्थित रहे।
शिक्षक संघ का कहना है कि यदि सरकार ने जल्दबाजी में लिया गया यह निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलनात्मक रणनीति अपनाने को बाध्य होंगे।
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