दैहिक, दैविक, भौतिक तापा,कलिकाल सबहिं कहुँ व्यापा। सत्य प्रसंग असत्य कहि देहीं,औरन कहँ अति मतिभ्रम देहीं। सज्जन साधु सन्त मत…
आस्था और विश्वास की ताक़त सेटूटते हुये सम्बंध बार बार जुड़ जाते हैं,लोगों की उजड़ी अंधियारी दुनिया मेंयही हरियाली प्रकाश…
डाक हिमालय की बर्फीलीलेकर चलीं हवाएं,सुबह-शाम मैदानों कीसांकल चढ़कर खाकाएं। क्रूर-निर्दयी से मर्माहतबार-बार पिस-पिस केअंधियारे की बांहों मेंचांदनी कसमसा सिसकेकुहरे…
दादा बड़ा न भैया,सबसे बड़ा रुपैया ।सब पैसे का खेल है,और कछू ना भैया ।। मंदिर मे दिया जाऊँ तोहमें…