श्रीमद् भागवत ने गुरु-शिष्य परंपरा की रखी नींव : आचार्य विनय

कथा सुनाते आचार्य पं. विनय पांडेय

राजापाकड़ कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)5 सितम्बर…

श्रीमद् भागवत कथा ने धरा धाम पर गुरु शिष्य परंपरा को स्थापित किया। कथा भक्ति, ज्ञान, वैराग्य सीखाकर त्याग व तपस्या के मार्ग से मोक्ष तक ले जाती है। यह बातें तमकुही विकास खंड के ग्राम पंचायत बरवा राजापाकड़ के टोला सपही बरवा में राधाष्टमी के अवसर पर हनुमान भजन मंडल के तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय स्वान्त: सुखाय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिन रविवार की रात्रि कथावाचक आचार्य पं. विनय पांडेय ने कही। कथावाचक ने शुकदेव जन्म एवं परीक्षित जन्म की कथा सुनाई।

👉शुकदेव व परीक्षित के जन्म की कथा सुन विभोर हुए श्रोता

कहा कि अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा ने कृष्ण से अपने गर्भ की रक्षा की गुहार लगाई। भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से अश्वथामा द्वारा गर्भ नष्ट करने के लिए छोड़े गए बाण को नष्ट कर दिया। यह बालक महाराजा परीक्षित के नाम से विख्यात हुआ। कथा का शुभारंभ अनिल गुप्ता, सुदर्शन कुशवाहा व रघुनाथ प्रसाद ने व्यासपीठ का पूजन कर किया।
यज्ञाचार्य पं संजय चतुर्वेदी, पं. दीपक मिश्र, पं. नंद पाठक, पं. अमरनाथ मिश्र, संगीत सहायक रमेश श्रीवास्तव, कमलेश, संजय व्यास, यजमान प्रहलाद गुप्ता ने पं अच्युतानंद शास्त्री, विद्या गुप्ता, ध्रुव देव गुप्ता, सिंहासन गुप्ता, रविन्द्र शर्मा, रिंकी, उमा, श्वेता, अमृता, रम्भा, ज्योति, निशा, विनिता, मुन्ना आदि श्रोता उपस्थित रहे।

संवादाता कुशीनगर…

parveen journalist

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