(महराजगंज से सतीश पाण्डेय की रिपोर्ट)
महराजगंज (राष्ट्र की परम्परा)। प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को झकझोरने वाला एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। महराजगंज जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में कार्यरत वरिष्ठ सहायक यशवंत सिंह पर अपनी सगी बहन निधि सिंह की अवैध नियुक्ति कराने का गंभीर आरोप सिद्ध हुआ है।
यह मामला सिद्धार्थ पूर्व माध्यमिक विद्यालय, पिपरा रसूलपुर (विकास खंड-सदर) से जुड़ा है, जहां निधि सिंह को वर्ष 2015 में प्रधानाध्यापिका के पद पर नियुक्त किया गया था। जांच में पाया गया कि इस नियुक्ति में नियमों की भारी अनदेखी की गई।
फर्जी अनुभव प्रमाणपत्र और अधूरी प्रक्रिया
नियमानुसार शिक्षक नियुक्ति के लिए कम-से-कम दो समाचार पत्रों—एक राज्यस्तरीय और एक स्थानीय—में विज्ञापन देना अनिवार्य होता है, लेकिन मात्र एक कम प्रचारित स्थानीय अखबार में विज्ञापन देकर औपचारिकता पूरी कर ली गई।
इतना ही नहीं, निधि सिंह द्वारा प्रस्तुत किया गया अनुभव प्रमाण पत्र राधा कुमारी लघु माध्यमिक विद्यालय, खैंचा से प्राप्त बताया गया, जो जांच में फर्जी निकला।
स्थलीय निरीक्षण में सामने आया कि अनुभव प्रमाणपत्र के आधार विद्यालय की उपस्थिति पंजिका अधूरी है, और प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्रबंधक की मृत्यु हो चुकी है, जिससे प्रमाण की पुष्टि असंभव हो गई।
जांच में मिले कई चौंकाने वाले तथ्य
मामले में शिकायतकर्ता उमेश प्रसाद की ओर से महानिदेशक, स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय को दी गई शिकायत के बाद जांच शुरू हुई।
जांच में यह भी सामने आया कि नियुक्ति की अनुमति और पर्यवेक्षण के जिन दस्तावेजों पर अधिकारियों के हस्ताक्षर प्रस्तुत किए गए, वे फर्जी थे। संबंधित अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि वे हस्ताक्षर उन्होंने नहीं किए।
जांच में वरिष्ठ सहायक यशवंत सिंह की भूमिका को केन्द्र में पाया गया, जो उस समय बीएसए कार्यालय में संबंधित पटल के प्रभारी थे। आरोप है कि यशवंत सिंह ने इस नियुक्ति में तत्कालीन बीएसए आशीष सिंह की मिलीभगत से कार्य किया। यदि आशीष सिंह द्वारा रिट संख्या 6632/2023 में सही तरीके से रिव्यू दाखिल किया गया होता, तो यह अनियमितता रोकी जा सकती थी।
हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और दोबारा जांच
निधि सिंह ने अपनी सेवा समाप्ति को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी (याचिका संख्या 14066/2024)। न्यायालय ने 10 सितंबर 2024 को अपने आदेश में कहा कि सेवा समाप्त करने से पूर्व प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन नहीं किया गया। इसी आधार पर कोर्ट ने सेवा समाप्ति आदेश को निरस्त कर दिया, परंतु विभाग को विधिसम्मत अनुशासनात्मक कार्रवाई की छूट दी।
एफआईआर और जांच समिति गठित
जिले के बीएसए ने विद्यालय के प्रबंधक और प्रधानाचार्य के विरुद्ध थाना कोतवाली, महराजगंज में एफआईआर दर्ज कराई है। साथ ही निधि सिंह के संदिग्ध अनुभव प्रमाण पत्र की जांच के लिए दो सदस्यीय जांच समिति भी गठित की गई, जिसने अपनी रिपोर्ट में सभी आरोपों को पुष्ट किया है।
जांच रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि विद्यालय प्रबंधन द्वारा कई बार पत्राचार के बावजूद अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए, जिससे आशंका है कि साक्ष्य नष्ट या छिपाए गए हैं।
महानिदेशक, स्कूल शिक्षा एवं राज्य परियोजना निदेशक कार्यालय ने इस मामले को अत्यंत गंभीर और जनहित से जुड़ा मानते हुए 15 दिवस के भीतर विधिसम्मत कार्रवाई की रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
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