December 23, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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मारपीट के आरोपियों को एससीएसटी कोर्ट ने परिवीक्षा पर छोड़ा

एससीएसटी एक्ट की धारा के आरोप से आरोपियों को किया दोषमुक्त

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। मारपीट के आरोपी पिता-पुत्र को एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट दिनेश प्रताप सिंह की कोर्ट ने दोषसिद्ध करार देते हुए दो वर्ष के परिवीक्षा पर छोड़ने का फैसला सुनाया। आरोपी साधु शरन मौर्य एवं अमृत लाल पर अनुसूचित जाति की मां, बेटी एवं अन्य को घर में घुसकर जातिसूचक गाली देते हुए हल के फार से मारने का आरोप लगाया गया था।
एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट की कोर्ट ने दोनों आरोपियों को एससीएसटी एक्ट के आरोप से दोषमुक्त करने का भी फैसला दिया ।
विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पांडेय ने बताया कि मामला जिले के ग्राम झिंगुरापार थाना महुली का है। प्रकरण में पीड़िता गिरिजा देवी निवासी ग्राम झिंगुरापार ने अभियोग पंजीकृत कराया था । वादिनी का आरोप था कि वह घर पर नहीं थी। उसकी लड़की को गांव का अमृत लाल पुत्र साधु शरन जाति सूचक गाली दिया। विपक्षीगण से जमीनी विवाद चल रहा है। जिसके चलते विपक्षीगण हमेशा जान से मारने की धमकी देते रहते थे। दिनांक 6 अप्रैल 2008 को समय लगभग 4 बजे साधु शरन पुत्र महावीर, अमृतलाल एवं सोहन लाल पुत्रगण साधु शरन एवं फूला देवी पत्नी साधु शरन लाठी डंडा, सब्बल, सरिया लेकर घर में घुस गए और प्राणघातक हमला कर दिए। पीड़िता को गम्भीर चोट आई। पीड़िता के चिल्लाने पर पाना देवी, मेनका देवी एवं रामकृपाल बचाने आए तो विपक्षीगण ने उनको भी मार पीटकर घायल कर दिया। शोर पर गांव के अन्य लोगों के आ जाने पर जान बच । वादिनी अनुसूचित जाति की धोबी है। विपक्षीगण पिछड़ी जाति के कोइरी हैं।
पुलिस ने विवेचना के दौरान फूला देवी का नाम निकालते हुए तीन आरोपियों के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया था। विचारण के दौरान आरोपी सोहन लाल अवयस्क होने पर उसकी पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई।
विशेष लोक अभियोजक आशीष प्रसाद पाण्डेय ने बताया कि अभियोजन ने मामले में आठ गवाह प्रस्तुत किया। एडीजे एवं विशेष न्यायाधीश एससीएसटी एक्ट दिनेश प्रताप सिंह की कोर्ट ने पक्षों की बहस सुनने एवं पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने पर आरोपियों को मारपीट के मामले में दोषसिद्ध करार देते हुए दो वर्ष की अवधि के लिए सदाचरण कायम रखते हुए सशर्त परिवीक्षा पर छोड़े जाने का फैसला सुनाया। जबकि कोर्ट ने एससीएसटी एक्ट के आरोप से आरोपियों को दोषमुक्त कर दियाl