आओ भारत को दुनियां की विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भी बेहतर बनाएं
देश की मौजूदा लॉजिस्टिक (माल ढुलाई) कास्ट जीडीपी के 16 फ़ीसदी से घटकर 2024 के अंत तक 9 फ़ीसदी तक लाने का संकल्प मील का पत्थर साबित होगा – एडवोकेट किशन भावनानी
गोंदिया – वैश्विक स्तरपर कोविड महामारी के बाद दुनियां के करीब करीब सभी देशों की अर्थव्यवस्थाएं चरमरा सी गई है जो कई देशों के लिए आपदा में विपदा साबित हो रही है, और मंदी की भयंकर चपेट से जूझ रहे हैं, तो पड़ोसी मुल्कों सहित एशिया के कुछ देशों में भारी विपत्ति आन पड़ी है जिससे उबरने मसलन श्रीलंका को विश्व बैंक ने 400 मिलियन डॉलर ऋण सहायता का ऐलान भी किया है, वहीं पड़ोसी मुल्क इसके लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहा है। परंतु हमारे भारत देश ने इस आपदा को अवसर के रूप में परिवर्तित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। वैक्सीन का भरपूर उत्पादन कर अनेकों देशों तक सहायता पहुंचाई, अपने सड़क परिवहन और राजमार्ग परिवहन की कनेक्टिविटी पर अधिक ध्यान दिया, बुनियादी ढांचों पर फोकस किया, सागरमाला भारतमाला योजनाओं कार्यों को अग्रसर किया और वर्तमान में देश की लॉजिस्टिक कॉस्ट जो कि जीडीपी का 16 फ़ीसदी है इसे घटाकर 2024 के अंत तक 9 फ़ीसदी तक लाने का आश्वासन माननीय परिवहन मंत्री ने दिनांक 28 मार्च 2023 को एसोचैम की सालाना बैठक 2023 में दिया। हम यूरोपीय देशों और यूएसए में लॉजिस्टिक कॉस्ट देखें तो 12 फ़ीसदी है, जबकि चीन ने मात्र 8 फ़ीसदी है। कम लॉजिस्टिक लागत सप्लाई चैन में लागत को कम करने में मदद करती है और उत्पादों को वैश्विक बाजारों में प्रतिस्पर्धी बनाती है। चूंकि आज एसोचैम की सालाना बैठक में लॉजिस्टिक लागत कम करने का आश्वासन मंत्री महोदय द्वारा दिया गया है इसीलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, पैसा बचाना ही पैसा कमाना है, जो बड़े बुजुर्गों की कहावत भी है। तथा आओ भारत को दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भी बेहतर बनाएं।
साथियों बात अगर हम केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री के उद्योग मंडल एसोचैम के सालाना सत्र 2023 में संबोधन की करें तो उन्होंने, देश में लॉजिस्टिक लागत में कमी लाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि सरकार का इसे 2024 के अंत तक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के मौजूदा 16 प्रतिशत से घटाकर नौ प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।उन्होंने यहां उद्योग मंडल एसोचैम के सालाना सत्र में यह भी कहा कि श्रीनगर लेह राजमार्ग पर 6.5 किलोमीटर जेड-मोड़ सुरंग का उद्घाटन अगले महीने किया जाएगा। साथ ही एशिया की सबसे बड़ी सुरंग जोजिला के 2024 में पूरा होने की उम्मीद है। अगर हम लॉजिस्टिक लागत को कम कर नौ प्रतिशत पर ला सके,तो हमारा निर्यात 1.5 गुना बढ़ जाएगा उन्होंने कहा, इसे हासिल करने के लिये सरकार सड़क मार्ग और रेलवे दोनों में सुधार पर ध्यान दे रही है। हम प्रमुख शहरों और केंद्रों के बीच की दूरी को कम करने पर ध्यान देने के साथ हरित राजमार्ग और औद्योगिकगलियारा बना रहे हैं। देश के उद्योग और कारोबार के समक्ष लॉजिस्टिक की ऊंची लागत बड़ी चुनौती है। अभी यह जीडीपी का 16प्रतिशत है। हमने इसे 2024 के अंत तक नौ प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा है।उन्होंने कहा कि चीन में जहां लॉजिस्टिक लागत आठ प्रतिशत है, वहीं अमेरिका और यूरोपीय संघ में यह 12 प्रतिशत है। कुछ राजमार्ग परियोजनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा,दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे के पूरा होने के बाद लोग केवल 12 घंटे में दिल्ली से मुंबई पहुंच सकते हैं। वहीं नागपुर से मुंबई पांच घंटे में और नागपुर से पुणे की यात्रा छह घंटे में हो सकेगी। इससे लॉजिस्टिक लागत कम करने में मदद मिलेगी। वैकल्पिक ईंधन पर ध्यान देकर ईंधन की लागत कम करने की भी बात कही,उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान कचरे को संपत्ति में बदलने पर होना चाहिए।उन्होंने कहा कि दिल्ली में ठोस कचरे के तीन पहाड़ हैं और अगले दो साल के भीतर इस कचरे का इस्तेमाल सड़क निर्माण में किया जाएगा। बता दें कि देश में माल परिवहन की लागत कम करने के लिए केंद्र सरकार नई राष्ट्रीय लाजिस्टिक नीति ले कर आई है. इसका मकसद उत्पादों के निर्बाध आवागमन को बढ़ावा देने के साथ-साथ माल ढुलाई की लागत को कम करना है।
साथियों बात अगर हम देश की अर्थव्यवस्था को दुनियां की विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भी बेहतर बनाने की करें तो वैश्विक स्तरपर आज भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, परंतु कयास लगाए जा रहे हैं कि शीघ्र ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में तब्दील होने की पूरी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। इसका सटीक कारण है कि कोविड महामारी के बाद जिस तरह चीते की रफ्तार के साथ नीतियों रणनीतियों पर काम कर उन्हें क्रियान्वित किया जा रहा है उसे देखते हुए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी इसकी गूंज दिख रही है।
साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति (एनएलपी) की करें तो, एनएपी का सीधा मतलब माल ढुलाई की लागत में कमी लाने से है। लॉजिस्टिक्स वो प्रॉसेस है, जिसके अंतर्गत माल और सेवाओं को उनके बनने वाली जगह से लेकर जहां पर उनका इस्तेमाल होना है, वहां भेजा जाता है। यह दुनिया में आत्मनिर्भर भारत की मेक इन इंडिया गूंज का आगाज है क्योंकि यह नई नीति के साथ पीएम गतिशील नीति मिलकर देश को नई ऊंचाइयों पर ले जाकर इतिहास रचने नई कार्य संस्कृति की तरफ ले जा रहे हैं,क्योंकि इस नई एनएलपी का प्रभाव हर छोटे से लेकर बड़ी वस्तु पर पड़ेगा क्योंकि हर वस्तु की कीमत में परिवहन लागत जुड़ती है जिसके प्रभाव से कीमतें ऊंची करने में महत्वपूर्ण रोल होता है जो इस नीति के चलते कीमतों में कमी आएगी क्योंकि माल ढुलाई कीमतों में कमी आएगी जिससे ज़ीडीपी पर भी असर पड़ेगा।
साथियों बात अगर हम माल ढुलाई फैक्टर की करें तो, दरअसल हर देश में जरूरत की हर चीज़ उपलब्ध होना असंभव है।भारत में भी कई ऐसी चीज़ें हैं जिनका बाहर से आयात किया जाता है, इन चीज़ों में आम नागरिकों के लिए खाने-पीने की चीजों से लेकर डीज़ल-पेट्रोल, इंडस्ट्री से जुड़े सामान, व्यापारियों के माल, फैक्ट्रियों में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल, उद्योगों को चलाने के लिए ज़रूरी ईंधन और तमाम तरह की चीजें शामिल हैं, इन सभी चीज़ों को एक जगह से दूसरी जगह लेकर जाना होता है। सामान को एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाने के पीछे एक बहुत बड़ी इंडस्ट्री और नेटवर्क काम करता है जो चीजों को तय समय पर पहुंचाता है, इस इंडस्ट्री का नाम लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री है।
साथियों मालूम हो कि भारत में लॉजिस्टिक्स यानी माल ढुलाई के लिए सड़क और जल परिवहन से लेकर हवाई मार्ग का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें काफी बड़ी लागत लगती है, अब ईंधन लागत को कम करने के लिए इस नई नीति को पेश किया गया है, इससे देशभर में माल ढुलाई का काम तेजी से हो सकेगा। इस नीति से अब देश के लॉजिस्टिक्स नेटवर्क को भी मजबूती मिलेगी और साथ ही खर्च भी कम होगा।
साथियों बात अगर हम नई राष्ट्रीय माल ढुलाई नीति के उद्देश्यों की करें तो, लॉजिस्टिक्स इंडस्ट्री का मुख्य काम जरूरी सामानों को एक जगह से दूसरी जगह तय समय सीमा तक पहुंचाना होता है, इन सभी सामानों को विदेश से लाना, उसे अपने पास स्टोर करना और फिर डिलीवरी वाली जगह पर उसे तय समय पर पहुंचाना इस इंडस्ट्री की जिम्मेदारी है, इस बीच इंडस्ट्री पर ईंधन खर्च का बहुत भार पड़ता है। इसके अलावा, सड़कों की अच्छी सेहत, टोल टैक्स और रोड टैक्स के साथ-साथ अन्य कई चीजें भी इस इंडस्ट्री को प्रभावित करती हैं. इन्हीं सब फैक्टर्स को लेकर सरकार विगत तीन वर्षों से काम कर रही था, साथ ही, रोजगार के अवसर पैदा कर छोटे और मंझले उद्यमों को बढ़ावा दिया जाना है।
अतः अगर हम उपरोक्त प्रेरणा का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि पैसा बचाना ही पैसा कमाना है। आओ भारत को दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं से भी बेहतर बनाएं। देश की मौजूदा लॉजिस्टिक (माल ढुलाई) कास्ट जीडीपी के 16 फ़ीसदी से घटकर 2024 के अंत तक 9 फ़ीसदी तक लाने का संकल्प मील का पत्थर साबित होगा।
–संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र
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