
देवरिया ( राष्ट्र की परम्परा)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देवरिया द्वारा पथ संचलन का कार्यक्रम कार्यालय टाउन हॉल से प्रारंभ होकर ओवरब्रिज के नीचे होते हुए, स्टेशन रोड से जलकल रोड, पोस्टमार्टम चौराहा और सिविल लाइन होते हुए पुनः टाउन हॉल संघ कार्यालय वापस आया।
शस्त्र पूजन के उपरांत कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सह प्रांत प्रचारक सुरजीत ने कहा कि आज समाज में दो विचारधाराओं में द्वंद है,राष्ट्रीय विचारधारा व दूसरी अराष्ट्रीय विचार धारा।सज्जन शक्ति जब बढ़ती है तो दुर्जन शक्ति खत्म सी हो जाती है,सज्जन शक्ति का जागरण ही संघ की शाखा के द्वारा किया जाता है।संगठन की शक्ति शाखाओं में है क्योंकि शाखाओं से ही कार्यकर्ताओं का निर्माण होता है।संघ रूपी शरीर का सार तत्व संघ की शाखा है। शस्त्र एवम शास्त्र दोनों एक दूसरे के पूरक है।शास्त्र तभी तक सुरक्षित है जब तक शक्ति जागृत है।हमें विश्वामित्र की भूमिका में भारत के हर बालक को राम बनाना है ताकि धर्म की स्थापना स्थायित्व रूप ले सके।

जिसके अंदर जिज्ञासा नही उसका अधिगम समाप्त हो जाता है ।भारत का अर्थ होता है ज्ञान में रत जो ज्ञान मे रत है वही भारतीय है। हमारी भारतीय संस्कृति मातृ भव ,पितृ देवो भव,अतिथि देवो भव, गुरुदेवो भव को मानने वाली है ।विश्व में किसी भी देश में ऐसी संस्कृति नहीं पाई जाती है। इसलिए भारतीय संस्कृति हर संस्कृति में उत्कृष्ठ है हम कभी विश्व गुरु थे, पुनः उसकी प्राप्ति के लिए हमें स्वयं को श्रेष्ठ बना होगा ।फिर प्रत्येक भारतीय को श्रेष्ठ बनाना होगा ।हमें अपना लक्ष्य निश्चित करना होगा, अगर लक्ष्य निश्चित ना हो तो मार्ग निश्चित नहीं रह जाता है। मार्ग निश्चित नहीं रहता है तो व्यक्ति भटक जाता है। किकर्तव्यमूढ हो जाता है। जब देश का व्यक्ति कर्तव्यमूढ़ हो जाता है जिसके कारण वह देश का पराभूत हो जाता है। उन्होंने कहा कि आज ही के दिन डॉक्टर हेडगेवार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी ।नवरात्रि में दसों दिन हम शक्ति की उपासना करते हैं ।विजयदशमी के दिन धर्म की स्थापना हेतु भगवान राम ने रावण पर विजय प्राप्त की थी। और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का भी मुख्य उद्देश्य धर्म की स्थापना करना ही है। कार्यक्रम में सुधीर, रविशंकर,दिवाकर, अमित राजेश मिश्रा कृष्ण मुरारी लाल, मालवीय ,यशवंत शाही,वीरेंद्र,कृष्णानंद राय,दीपेंद्र,पुष्पराज,राधारमण,विभाग प्रचारक सुशील, राजधारी,जिला संघ चालक मकसूदन , दीपक,नमोनारायण,राजेश,मोहन,दिनेश,विष्णु,श्रावण,व्यास,राधारमण आदि कार्यकर्ता एवम् स्वयंसेवक बंधु उपस्थित थे।
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