बलिया (राष्ट्र की परम्परा) निपुण भारत मिशन के उद्देश्य की प्राप्ति को लेकर बीएसए मनिराम सिंह ने खंड शिक्षा अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिया है। शासनादेश व सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) आजमगढ द्वारा जारी पत्र का हवाला देते हुए बीएसए ने ‘निपुण भारत’ के उद्देश्य की समयवद्घ प्राप्ति के लिए शिक्षकों को विद्यालय में समय से उपस्थित रहकर निर्धारित पाठ्यक्रम के अनुसार नियमित रूप से गुणवत्तापरक पठन-पाठन को आवश्यक बताया है।
पूर्व में जारी शासनादेश का हवाला देते हुए बीएसए ने एक बार फिर स्पष्ट किया है कि विद्यालय अवधि व शैक्षणिक अवधि निर्धारित है। इसमें शिक्षक को शिक्षण अवधि से 15 मिनट पूर्व तथा शिक्षण अवधि के पश्चात न्यूनतम 30 मिनट विद्यालय में उपस्थित रहने के लिए निर्धारित किया गया है। बीएसए ने शिक्षकों को विद्यालय में उपस्थित रहकर शिक्षण कार्य प्रारम्भ करने एवं नियत समय तक विद्यालय में शिक्षण कार्य करने के लिए निर्देशित किया है।
ये है दायित्व विद्यालय में उपस्थित होने में नियमितता और समय पालन।-धारा 29 की उपधारा (2) के उपबंधों के अनुसार पाठ्य क्रम संचालित करना और उसे पूरा करना।
-विनिर्दिष्ट समय के भीतर सम्पूर्ण पाठ्यक्रम पूरा कराना।
-प्रत्येक बालक की शिक्षा ग्रहण करने के सामर्थ्य का निर्धारण करना और यथा अपेक्षित अतिरिक्त शिक्षण, यदि कोई हो जोड़ना।
-माता-पिता तथा संरक्षकों के साथ नियमित बैठके करना और बालक के बारे में उपस्थिति में नियमितता, शिक्षा ग्रहण करने का सामर्थ्य, शिक्षण में की गयी प्रगति और किसी अन्य सुसंगत जानकारी के बारे में उन्हें अवगत कराना।
-ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करना, जो विहित किये जायें।
.ताकि प्राप्त हो सके निपुण लक्ष्य बीएसए ने खंड शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि विद्यालय में शिक्षकों की समय से नियमित उपस्थिति सुनिश्चित कराते हुए विद्यालयों में इस प्रकार से शिक्षण व्यवस्था करायी जाय कि सभी प्राथमिक विद्यालयों में शीघ्र ही निपुण लक्ष्य की प्रप्ति हो सके। इस कार्य में जिस शिक्षक द्वारा अपने कार्य दायित्वों के प्रति लापरवाही एवं उदासीनता बरती जाय, उसके विरुद्ध प्राविधानित नियमों के अन्तर्गत अनुशासनिक कार्रवाई करते हुए कृत कार्यवाही से अधोहस्ताक्षरी को भी अवगत कराया जाय। विद्यालय में अध्यापक का उपस्थिति ही पर्याप्त नहीं, दायित्व निर्वहन भी जरूरी बीएसए ने यह भी स्पष्ट किया है कि विद्यालय में अध्यापक का उपस्थित पाया जाना ही पर्याप्त नहीं है। यह भी मूल्यांकन किया जाय कि अध्यापक अपने दायित्वों का यथोचित पालन किया है कि नहीं। यदि किसी विद्यालय अथवा किसी कक्षा में अभ्ययनरत छात्रों का अधिगम स्तर असंतोषजनक है, तो यह परीक्षण किया जाय कि सम्बंधित शिक्षक-शिक्षिका ने गुणवत्ता संवर्धन विभागीय निर्देशों का अनुपालन किया है या नहीं। यदि मूल्यांकन में किसी शिक्षक की लापरवाही उजागर हो तो उसे सुधार के लिए 03 माह की कड़ी चेतावनी दी जाय। फिर भी अध्यापक द्वारा लापरवाही बरती जाए तो उसके विरुद्ध दण्ड की कार्यवाही (या स्थिति वेतनवृद्धि रोकना, पदानवत, सेवा समाप्ति) के लिए प्राविधानिक नियमो एवं उप्र अनुशासन एवं अपील नियमावली 1999 के तहत अधोहस्ताक्षरी को आख्या उपलब्ध कराई जाय।
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