December 4, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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समसामयिक परिवेश में भारतीय नौसेना की जिम्मेदारियां एवं चुनौतियाँ

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर के रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग में बुधवार को नौ सेना दिवस पर “ समसामयिक परिवेश में भारतीय नौसेना: जिम्मेदारियां एवं चुनौतियाँ ” विषय पर विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया।
विशिष्ट व्याख्यान के मुख्य वक्ता विश्वविद्यालय के पूर्व प्रतिकुलपति, पूर्व संकायाध्यायक्ष, विज्ञान संकाय एवं पूर्व अध्यक्ष रक्षा एवं स्त्रातजिक अध्ययन विभाग प्रो. हरी सरन रहे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि किसी भी देश में नौसेना के महत्व के लिए उसकी भौगोलिक स्थिति जिम्मेदार है जैसे भौगोलिक विस्तार, भौगोलिक स्थिति एवं सामुद्रिक विस्तार आदि। हमारे देश की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यहां नौसेना सहायक की भूमिका में रही है। भारत नौसेना के क्षेत्र में प्रारंभ से ही काफी अग्रणी देश रहा है परंतु औद्योगिक काल में तकनीकि विकास और इस्पात के जहाजों के विकास में हम पीछे रह गए परंतु वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में भारत एक क्षेत्रीय नौसैनिक शक्ति के रूप अपने को देख रहा है और उसका कार्य क्षेत्र विस्तृत हो गया है। इसलिए भारत को अपने नौसैनिक क्षमता में वृद्धि करने की आवश्यकता है। भारत इस दिशा में लगातार अग्रसर भी है जैसे- फ्रांस से 6 स्कॉर्पियन क्लास पनडुब्बी की खरीद, पी 8 विमानों की संख्या बढ़ाकर 22 करना तथा 6 नए नाभिकीय पनडुब्बियों का निर्माण ( इसमे से 2 पनडुब्बियां 2036 तक तैयार हो जाएंगी) आदि।
उन्होंने आगे कहा कि भारत 2040 तक एक ट्रू ब्लू वाटर नेवी वाला देश बन जाएगा और इसके लिए एक नेवल थियेटर कमांड की स्थापना करके एलएसटी क्षमता प्राप्त करने की आवश्यकता है और इसके लिए नेट सेंट्रिक ऑपरेशनल कैपेबिलिटी प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए क्योंकि इससे निर्णय निर्माण क्षमता और कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम में वृद्धि होगी और इसके लिए ए2एडी ( एंटी एक्सेस /एरिया डेनियल )पर ध्यान केंद्रित करना होगा और इसके लिए यूएसवीएस के साथ- साथ यूएसवीएस (अनमैन्ड अंडरवाटर व्हीकल) का विकास करने की आवश्यकता है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विभागाध्यक्ष प्रो. विनोद कुमार सिंह ने भारतीय नौसेना के महत्व, चुनौतियां एवं हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक कूटनीति के विकास पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन विभाग के वरिष्ठ आचार्य प्रो. श्रीनिवास मणि त्रिपाठी और संचालन विभाग की सहायक आचार्य डॉ. आरती यादव ने किया।
इस अवसर पर पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. सतीश चन्द्र पाण्डेय, डॉ. अभिषेक सिंह, विभाग के शोध छात्र छात्राएं एवं परास्नातक तथा स्नातक सभी छात्र उपस्थित रहे।