यथार्थ बोध के बिना,
यथार्थ ज्ञान नहीं मिले,
यथार्थ ज्ञान के बिना,
विनीत भाव नहीं मिले।
विनीत भाव के बिना,
प्रेम-प्रीति नहीं मिले,
प्रेम- प्रीति के बिना,
अपनत्व भी नहीं मिले।
अपनत्व यदि नहीं मिले,
जीवन में सुख नहीं मिले,
जीवन में सुख के बिना,
जीवन को शांति नहीं मिले।
जीवन में शांति के बिना,
भक्ति भाव भी नहीं मिले,
भक्ति भावना के बिना,
प्रभु से लगाव नहीं मिले।
प्रभु से लगाव के बिना,
संकल्प भ्रमित हो रहे,
संकल्प हीनता तहत,
कार्य सिद्धि नहीं मिले।
कार्य सिद्धि के बिना,
जीवन असफल हो रहे,
आदित्य यथार्थ बोध के
लिये सत्य मार्ग पर चलें।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
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