
तीसरे दिन आये 87 प्रकरणों में से 86 का हुआ निस्तारण
सूचना देना लोकसेवक की नौकरी का हिस्सा: राज्य सूचना आयुक्त
देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
राज्य सूचना आयुक्त सुभाष चंद्र सिंह ने कलेक्ट्रेट सभागार में जन सूचना अधिकार अधिनियम- 2005 के अंतर्गत आये प्रकरणों की विशेष सुनवाई की। उन्होंने विशेष सुनवाई के तीसरे दिन कुल 87 प्रकरण आये जिनमें से 86 प्रकरणों का निस्तारण गुण-दोष के आधार पर किया। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि जन सूचना अधिकारी समय से सूचना देना नौकरी का हिस्सा बनाये। यदि विभिन्न विभागों में नामित जन सूचना अधिकारियों द्वारा 30 दिन की निर्धारित अवधि में अधिनियम की मूल भावना के अनुरूप सूचना उपलब्ध करा दी जाए तो आवेदनकर्ता तथा अन्य विभागीय अधिकारियों के समय एवं धन दोनों की बचत होगी।
राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि आरटीआई अधिनियम को प्रभावी हुए लगभग 18 वर्ष की अवधि हो चुकी है। अधिकारियों को अधिनियम के सभी पहलुओं की भलीभांति जानकारी होनी चाहिए। किसी भी प्रकरण को अनावश्यक रूप से लम्बित न रखा जाए, अन्यथा प्राविधानो के अनुरुप वे दण्डित भी किये जाएंगे है।
राज्य सूचना आयुक्त ने बताया कि जनपद में तीन दिनों के दौरान उन्होंने 262 प्रकरणों की सुनवाई की जिसमें से 236 का निस्तारण गुणदोष के आधार पर कर दिया गया। शेष प्रकरणों पर निर्णय सुरक्षित रखा गया है। उन्होंने कहा कि सभी कार्यालयों में जन सूचना पंजिका भी होनी चाहिए, जिसमें प्रकरणों का अनिवार्य रुप से अद्यतन अंकन भी सुनिश्चित किया जाये। सभी कार्यालयो में नामित जन सूचना अधिकारी, सहायक जन सूचना अधिकारी, अपीलीय अधिकारी के नाम, पदनाम, मोबाइल नम्बर भी जन सुविधा के लिए अंकित होना चाहिए।
राज्य सूचना आयुक्त ने यह भी कहा कि इससे जुडे सभी अधिकारी प्राविधानों का पूरी तरह से अध्ययन कर लें, जिससे कि उन्हे उसका पालन करने में आसानी हो।
इस अवसर पर एएसपी डॉ राजेश सोनकर, एसडीएम सदर योगेश कुमार गौड़, सीओ श्रीयश त्रिपाठी, डीआईओएस वीरेंद्र प्रताप सिंह, डीपीओ प्रोबेशन अनिल सोनकर, सहित विभिन्न अधिकारी मौजूद थे।
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